अब तक जारी है मौतों का सिलसिला
संचालकों ने किए सभी उपाय
फतहनगर. कस्बे की श्रीकृष्ण महावीर गोशाला में गायों की अनवरत मौत का रहस्य अब तक किसी की समझ में नहीं आया है। पिछले सात माह के दौरान करीब 150 गायें मौत का शिकार हो चुकी है।
गायों की मौत को लेकर सब अपने-अपने तरीके से तर्क दे रहे हैं तो गोशाला के प्रबन्धक गायों की मौतों को रोकने के लिए सभी तरह के प्रयास कर चुके है। बड़ी संख्या में रोजाना गायों की मौत से नगरवासी भी सकते में हैं। यह गोशाला शमशान के समीप स्थित है। गायों की मौत का सिलसिला जब शुरू हुआ तो गौ शाला संचालकों के होश उड़ गए। संचालकों ने इसका समाधान अपने तरीके से निकालने का प्रयास किया तथा जगद्गुरू आचार्य रामदयाल महाराज, राधाकृष्ण महाराज समेत कई संतों की यहां पधरावणी करवाई। इसके बाद भी यह सिलसिला नहीं रूका तो तान्त्रिक विद्या के जानकार संत-महन्तों का भी सहारा लिया गया। भूमि को शुद्ध करने के लिए तान्त्रिक क्रियाएं भी करवाई गई। फिर भी मौतों का सिलसिला नहीं रुका। गोशाला के संचालक इससे काफी परेशान हैं।
गोशाला संचालकों ने बताया कि जब से गोशाला में कत्लखाने ले जाने वाली एवं आवारा घूमने वाली गायों को लाया गया है मौतों का सिलसिला शुरू हुआ है। ये गायें पहले से ही काफी कमजोर होती हैं तथा यहां आने के बाद वह खाना पीना बंद कर देती है। अधिक कमजोर होने से वह असहाय होकर पड़ी रहती है। ऐसी गायों का पशु चिकित्सक से उपचार भी करवाया जाता है लेकिन कुछ दिनों की सेवा के बाद वे चल बसती है। इसके पीछे संचालकों का तर्क है कि ऐसी गायों के पेट से बड़ी मात्रा में पॉलीथिन निकलती है। पिछले दिनों हनुमान धर्मशाला में व्यापारियों की अनोपचारिक बैठक के दौरान भी इस मामले पर गौ शाला के कोषाध्यक्ष जगदीशचन्द्र मून्दड़ा ने हताशा जाहिर करते हुए बताया था कि गायों की मौतों का सबसे बड़ा कारण पॉलीथिन है। गौ शाला संचालन में आ रही तकलीफों को भी बयां करते हुए मून्दड़ा ने कहा था कि सरकार की ओर से गायों के लिए किसी प्रकार का अनुदान नहीं दिया जा रहा है। इसके पीछे गौ शाला का पंजीयन नहीं होना कारण बताया जा रहा है।
मृत गायें बनी परेशानी का कारण- मृत मवेशियों को खाकर वातावरण को शुद्ध बनाने का काम करने वाले चील इत्यादि प्रजातियों के लुप्त होने के बाद मृत गायें परेशानी का कारण बनकर रह गई है। समस्या यह है कि ऐसे मृत मवेशियों को कहां डाला जावे। कुछ दिनों तक इन मृत गायों को नगर के तालाब में पानी के आवक नाले में डाला गया। जब इसकी जानकारी नगर के लोगों को हुई तो उन्होने यह बताकर आपत्ति की कि तालाब के पेटे में ट्यूबवेल लगे हैं तथा उससे नगर में जलापूर्ति होती है। ऐसे में जल जनित बीमारियां होने की आशंका व्यकत की गई। लोगों के रोष पर मृत गायों को थाने के समीप स्थित माइक्रोवेव कॉलोनी के समीप डाला जाने लगा लेकिन वहां भी जलदाय विभाग का ओपनवेल होने एवं पानी का रिसाव कुए में होने को लेकर क्षेत्र के लोगों ने आक्रोश व्यकत किया। एक सप्ताह पूर्व तो करीब आधा दर्जन मृत गायों को लेकर गए ट्रेकटर को लोगों ने लौटा दिया। क्षेत्र के डूंगरसिंह सिंयाल,खेमराज मेनारिया,कमलेश बुनकर, डॉ.जैनेन्द्र कुमार जैन,राजेन्द्रसिंह भाटी समेत अन्य निवासियों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों को पत्र भेज कर पानी की शुद्धता बनाए रखने के उपाय के तहत मृत मवेशी डलवाना बंद करने की मांग की है। इन दिनों ऐसी गायों को सनवाड़ खारियवाला क्षेत्र में डाला जा रहा है। लोगों ने मृत गायों को डालने के लिए सुरक्षित स्थान मुहैया करवाने की मांग की है।