सात हजार के मुकाबले 12 हजार कमरे उपलब्ध
झीलों के अतिरिक्त और भी हों एक्टिविटीज़
रसातल में जा रहा होटल व्यवसाय
Udaipur. क्या लेकसिटी आने से पर्यटकों का मोह भंग हो रहा है। वे उदयपुर नहीं आना चाहते या आ नहीं रहे हैं। उदयपुर के होटल व्यवसाय को देखते हुए संभवतया यही लग रहा है कि लेकसिटी से पर्यटकों का मोह भंग हो रहा है। यह मानना है होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष गलुंडिया का।
गलुण्डिया का मानना है कि सरकार अपने स्तर पर तो पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास नहीं कर रही है और जो पर्यटक उदयपुर आ रहे है वे भी नगण्य हैं। अब पर्यटक उदयपुर की बजाय अन्यत्र जा रहे हैं जिससे पर्यटन से जुड़े कारोबार की स्थिति दयनीय होती जा रही है जिसमें से होटल उद्योग भी एक है। मंहगाई, नये टूरिस्ट डेस्टीनेशन का डवलपमेन्ट नहीं होना और जो हैं, उनकी स्थिति बदतर होना, प्रशासनिक स्तर पर उनकी अनदेखी, राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थलों का सही दिशा में प्रचार-प्रसार नहीं करना, झीलों की नगरी होते हुए भी यहां वाटर एक्टिविटी का नहीं होना आदि ने उदयपुर की ओर बढ़ते पर्यटकों के कदम रोक दिए है।
उन्होंपने बताया कि शहर में सात हजार कमरों की आवश्यंकता के मुकाबले 12 हजार कमरों की उपलब्धता है। इसमें भी 30 प्रतिशत की ऑक्यूपेन्सी है। वर्तमान में करीब 10 हजार कमरे खाली पड़े हैं। होटल उद्येाग काफी खराब दौर से गुजर रहा है। होटल उद्योग को रसातल में ले जाने में सरकार भी पीछे नहीं है। उसने होटल उद्योग पर करों की जबरदस्त मार दे रखी है। होटल उद्योग पर 12.36 प्रतिशत सर्विस टेक्स,10 प्रतिशत लक्ज़री टेक्स, 12.36 प्रतिशत खाने पर टेक्स तथा 5 व 15 प्रतिशत खाने पर वैट लगा हुआ है। इतना टेक्स देने के अलावा इनकम टेक्स अलग है। इतने टेक्स लगने के बाद होटल उद्येाग के विकास की बात करना उसके साथ बेमानी होगा। इस समय शहर में विदेशी पर्यटकों की आवक 20 प्रतिशत रहती है लेकिन वर्तमान में आवक मात्र 5 प्रतिशत ही है।
पर्यटकों के नहीं आने से गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब 30 प्रतिशत होटल उद्योग को नुकसान हुआ है। रही-सही कसर जिला प्रशासन ने फतहसागर की पाल के बीचों बीच गेट लगाकर पूरी कर दी है। पर्यटक फतहसागर पर नहीं घूम सकता है तो कहां जाए। एक ओर प्रशासन कहता है कि फतहसागर पर गुण्डागर्दी रोकने के लिए उक्त कदम उठाया गया है। यदि वहां गुण्डागर्दी है तो फिर पुलिस प्रशासन क्यों मौन है।
गलुण्डिया ने प्रशासन को सुझाव दिया कि पर्यटन विभाग की की ओर से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ओर से फतहसागर की पाल पर प्रतिदिन नियमित रूप से लोकनृत्यक का आयोजन हो, गुलाबबाग को मुगल गार्डन की तरह फ्लावर शो के रूप में विकसित करें, चाहे उसके लिए टिकिट ही क्येां न रखना पड़े। टिकिट रखने से सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा और गुलाबबाग का भी विकास होगा। शहर में ट्रेकिंग एण्ड पेराग्लाइन्डिग की संभावनाएं को अमलीजामा पहनाया जाए, पूर्व में प्रारम्भ हॉट बैलून की सुविधा को पुन: प्रारम्भ किया जाए। ये सभी प्रकार की सुवधिाएं प्रारम्भ होगी तो पर्यटक भी उदयपुर आने की ओर सेाचेंगे।
शहर में छोटी-बड़ी 400 होटलें संचालित हो रही है, जिसमें करीब 12 हजार कमरें है। दो वर्षों में करीब 50 और छोटी-बड़ी होटलें आने की संभावना है। होटल उद्योग ने पर्यटकों की आवक को देखते हुए कमरें तो बढ़ा दिये लेकिन बदकिस्मती से पर्यटकों की संख्या घट गई। सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। गत 2 माह से शहर में घरेलू पर्यटकों की संख्या भी देखने को नहीं मिल रही है जबकि घरेलू पर्यटकों की आवक निरन्तर रहती है। उत्तरांचल में पिछले दिनों की आपदा एंव कश्मीर में चल रहे तनाव के कारण पर्यटकों का रूख इस ओर होना चाहिए था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।