Udaipur. ‘‘समाज के विकास के लिए जिन अहम बातों पर की आज जरूरत है, वे हर समय प्रासंगिक बनी रहती हैं, चाहे समाज में कितनी ही विपरीत परिस्थितियां क्यों न विद्यमान हों। वर्तमान भौतिकता की चकाचौंध से हम अपने आप को मुक्त नहीं कर पा रहे हैं। व्यक्ति की सहज प्रवृत्ति है कि वह हमेशा दूरों के प्रति ही सोचता है, अपने विषय में कभी नहीं सोचता।
यदि अपने विषय में सपने का अवसर व्यक्ति ढूंढ़ ले तो समाज में अनेक तरह की बुराई समाप्त हो सकती है। जैन विश्व भारती संस्थान की व्याख्याता समणी विनय प्रज्ञा ने ये विचार तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम व मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के संयुक्त तवावधान में आयोजित ‘आचार्य तुलसी स्मृति व्याख्यान‘ के अन्तर्गत व्यक्त किए। उन्होंने ‘‘स्वस्थ समाज-संरचना एवं जैनधर्म‘‘ विषयक इस व्याख्यान में महावीर द्वारा प्रतिपादित पांच अणुव्रतों की चर्चा करते हुए जीवन में की गई छोटी-छोटी भूलों की आेर ध्यान आकृष्ट किया और कहा कि यदि हमें महावीर के सिद्घान्मों को समझना व आचार्य तुलसी के जीवन दर्शन को अपने जीवन में उतारना है, तो निश्चित ही अहिंसा, संयम सहिष्णुता, सत्य, अपरिग्रह जैसे सिद्घान्तों निरन्तर अभ्यास करना होगा।
जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के विभगाध्यक्ष डॉ. जिनेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि बाह्य एवं आभ्यान्तरिक व्यक्तित्व के विकास के लिए रहन-सहन, सामाजिक सम्बन्धों, आहार शुद्घि के साथ-साथ अहिंसा, संयम, अनेकान्तिक दृष्टि, नैतिक एवं संस्कारपूर्ण सिद्घान्तों की आश्यकता पर जोर दिया। शारीरिक स्वस्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य एवं भावनात्म क स्वास्थ्य की विशेष व्याख्या पर बल दिया।
तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष डॉ. निर्मल कुणावत ने अतिथितयों का स्वागत करते हुए फोरम के उद्देश्यों और गतिविधियों की जानकारी दी। आचार्य तुलसी स्मृति व्याख्यान समारोह के अध्यक्ष एवं कला महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर शरद श्रीवास्तव ने वैयक्तिक स्तर पर महावीर द्वारा प्रतिपादित सिद्घान्तों के प्रयोग की बात कही। उन्होंने आत्म निरीक्षण, स्वावलम्बन, आध्यात्मिक विकास को व्यक्तिगत लेवल पर बढा़ने पर बल दिया। विशेष रूप से उन्होंने कुछ चिन्तन जैन एवं गाँधी के सिद्घान्तों में अत्यधिक समानता होने से बहुत उपयोगी और समसामयिक माना। कार्यक्रम के अन्त में विभाग के सहायक आचार्य डॉ. ज्योति बाबू जैन ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया और विभाग का संक्षिप्त प्रगति-विवरण प्रस्तुत किया।