शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) का जिला अधिवेशन शुरू
Udaipur. शिक्षक और बालक मिलकर ऐसा प्रयास करें कि भारत पुनः विश्व गुरु बने तथा एक सामर्थ्यशाली समाज का निर्माण हो। ये विचार उदयपुर की महापौर रजनी डांगी ने राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के दो दिवसीय जिला अधिवेशन के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
रेजीडेन्सी स्कूल सभागार में आयोजित शिक्षकों को संबोधित करते हुए महापौर ने कहा कि कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन जरूर करें, क्योंकि जनता उनसे बहुत आशा रखती है। मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षाविद् लक्ष्मणपुरी गोस्वामी ने चिन्ता जताई कि आज विद्यालयों से विवेक के देव गणेश तथा बुद्धि की देवी सरस्वती को निष्कासित किया जा रहा है यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारे कर्म सूर्य से प्रेरित हो। तेरा-मेरा कहना यह सोच छोटे लोगों की है। मानव यदि मानव धर्म का त्याग करेगा तो क्या होगा? उन्होंने विनम्र होने के साथ शिक्षकों का आह्वान किया कि वे अंधविश्वासों को दूर करें।
अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने संगठन में एकता तथा मैत्री भाव रखने की कामना की। उन्होंने कहा कि शिक्षक को सज्जन, सहज, सरल, विनम्र, खोजी होना चाहिए। अनुशासन एवं स्वाध्याय हेतु भी इन्होंने प्रेरणा प्रदान की। संगठन के अध्यक्ष भौमसिंह चुण्डावत ने स्वागत उद्बोधन देते हुए संगठनात्मक गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की। कवि श्रेणीदान चारण ने काव्य पाठ कर रस परिवर्तन किया।
राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू, 10वीं बोर्ड की वरीयता सूची में 15वें स्थान पर रही हर्षिता वैरागी तथा अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित समर्थ भारत प्रतियोगिता के विजेताओं आयुषी इन्टोदिया, यशवन्त बोकड़िया तथा अनिता तथा अन्य विजेताओं का सम्मान भी सम्मेलन में किया गया।