हास्य नाट्य समारोह का समापन
Udaipur. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर, भारतीय लोक कला मण्डल, द परफोरमर्स संस्था के प्रयासों से तीन दिवसीय हास्य नाट्य समारोह के अन्तिम दिन नाटक ‘‘तिल का ताड़’’ ने दर्शकों को हॅंसा हॅंसाकर लोटपोट किया।
तिल का ताड़ में महानगरों में होने वाले मध्यमवर्गीय तनाव तथा आधुनिक जीवन शैली से उत्पन्न होने वाली विषमताओं पर गहरा कटाक्ष करता है। नाटक में बताया गया कि अविवाहित लोगों के लिये मकान की समस्या इतनी भयावह हो चुकी है कि मनुष्य का नैतिक पतन होता जा रहा है। नाटक के कलाकार अपनी अपनी भूमिकाओं में मनुष्य के संघर्ष को कला के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। हास्य व्यंग्य की शैली का यह नाटक शंकर शेष सामाजिक तथा राजनैतिक नाटकों से सर्वथा भिन्न हैं।
कथानक की बात है तो स्थूल तौर पर शहरों में अविवाहितों को मकान किराये पर लेने में आने वाली समस्याओं का चित्रण है किन्तु नाटक इतनी सी बात भर कहकर नहीं रह जाता है। नाटक आधुनिक होते जीवन तथा शहरीकरण की चुनौतियों को पूरी शिद्धत के साथ दर्शकों के सामने रखता है। नाटक इस बात को गहनता से कहता है कि कभी-कभी बहुत छोटी सी बात भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है और उसका परिणाम अच्छा निकलता है बुरा भी। इस नाटक में सौभाग्य और दुर्भाग्य एक पतले अवरोध से एक दूसरे से अलग है। मंजु, बनारसीदास, गयाप्रसाद अपनी-अपनी भूमिकाओं में मनुष्य के संघर्ष को कला के माध्यम से व्यक्त करते हैं। सम्पूर्ण नाटक व्यंग्य हास्य की शैली में अपने समाज के चित्र प्रस्तुत करता है। नाटक में मुख्य किरदार मंजू माधरी कौशिक, धन्नामल-रामसहाय हर्ष, बनारसीदास-अशोक जोशी, गया प्रसाद-प्रमोद चम्पेली, प्राणनाथ-भुवनेश स्वामी, ब्रह्मचारी – जय मयूर टाक, पतित पावन-सुमित व्यास अजय-नवनीत नारायण व्यास ने की मंच पार्श्व में प्रकाश प्रभाव-विजय सिंह, संगीत प्रभाव-शावेज खान, रूप सज्जा-रामसहाय हर्ष सहायक निर्देशक- जय मयूर टाक, प्रस्तुति प्रभारी – आनन्द वि. आचार्य ने की। सभी ने अपनी अपनी भूमिकाओं को बखुबी निभाया एवं दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। आरम्भ में मुख्य अतिथि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक शैलेन्द्र दशोरा, संस्था के मानद सचिव रियाज तहसीन ने संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर आज के नाटक का शुभारम्भ किया। धन्यवाद की रस्म संस्था के व्यवस्था सचिव गोवर्धन सामर ने अदा की एवं आशा व्यक्त की कि इस तरह के आयोजन प्रतिवर्ष होने चाहिए।