कृषि विपणन आसूचना पर राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला शुरू
Udaipur. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं विख्यात अर्थशास्त्री प्रो. एस. एस. आचार्य ने कृषि विपणन आसूचना परियोजना की आवश्यकता, महत्व बताते हुए कहा कि अनुसंधान आधारित देशव्यापी परियोजना से वृहद स्तर पर किसानों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विपणन से जुडी़ संस्थाओं को सशक्तिकरण एवं लाभ हो रहा है।
वे गुरुवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय के कृषि विपणन आसूचना केन्द्र, एनएआईपी परियोजना, द्वारा अखिल भारतीय केंद्रों की तीन दिवसीय राष्ट्रीय खरीफ कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि परियोजना द्वारा फसलों की बताई गई संभावित कीमतों के परिणाम एक दो माह में ही किसानों, व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं द्वारा मूल्यांकित कर लिए जाते हैं। उन्होंने देश की कृषि एवं आर्थिक नीति निर्धारण में परियोजना की महत्ता जताई। अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. ओ. पी. गिल ने बताया कि कृषि फसलों को कब, कहां व कैसे बेचें। इसकी पूर्व सूचना हमारे किसान भाइयों के लिए वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों द्वारा विभिन्न फसलों की कीमतों का विश्लेषण कर आगामी कीमत की पूर्वसूचना किसान भाइयों तक पहुंचायी जाती है। इसे विभिन्न संचार माध्यमों से व्यापक स्तर पर किसान भाइयों तक सही समय पर पहुंचाना नितान्त आवश्यक है।
अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पी. एल. मालीवाल ने आगुन्तक अतिथियों एवं देश के विभिन्न कृषि आसूचना केन्दों से पधारे कृषि अर्थशास्त्रियों एवं कार्यशाला में उपस्थित वैज्ञानिकों का स्वागत किया। परियोजना के मुख्य प्रभारी तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. एन. अजान ने परियोजना की गत पांच वर्षों की प्रगति की समीक्षा की एवं अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उदयपुर केन्द्र द्वारा चने की फसल पर लिखी गई ’’जिन्स प्रतिवेदन पुस्तिका’’ का विमोचन भी किया गया। अन्त में कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन विभाग के विभागाध्याक्ष डा. एस. एस. बुरडक ने धन्यवाद दिया। कार्यशाला के उद्घाटन में महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यगक्ष, विभाग के सदस्य, छात्र एवं छात्राएं उपस्थित थे।