फतहनगर. त्यागमय जीवन से मुकित के द्वार खुलते हैं। त्याग के बिना निर्वाण नहीं होता। उकत विचार मेवाड़ प्रवर्तक महाश्रमण मदनमुनि ने मंगलवार को घासा स्थित महावीर भवन में उप प्रवर्तनी दिवंगत महासती कौशल्या के देवलोक गमन पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में व्यक्त किए।
उन्होने कहा कि महासती का जीवन आदर्श था। संयम के प्रति उनमें सजगता थी। १० वर्ष की अवस्था में ही संयम ग्रहण करके निष्ठा के साथ ज्ञान,दर्शन व चारित्र की आराधना की। ऐसी विरली आत्मा के देवलोक गमन पर संत जगत में जो रिकित आई है उसे भरना संभव नहीं है। सभा में प्रदीप मुनि,डॉ.सुभाषमुनि,नवीन मुनि,रविन्द्रमुनि,लोकेश मुनि के अलावा चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीलाल डांगी,श्रीसंघ अध्यक्ष माधवलाल बड़ालमिया,शंकरलाल चण्डालिया,मंत्री समरथलाल बड़ालमिया,करणसिंह चण्डालिया आदि ने भी विचारों के माध्यम से श्रद्धासुमन अर्पित किए। इधर चातुर्मास के तहत चल रहे नियमित कार्यक्रम के तहत आगामी २८ अकटूबर को मदनमुनि म.सा. का दीक्षा दिवस मनाया जाएगा।