उदयपुर। इंतजार की घडि़यां समाप्त होने में बस कुछ ही घंटे बाकी रह गए हैं। रविवार सुबह 8 बजे से मीरा कन्या महाविद्यालय में ईवीएम की जैसे जैसे गणना शुरू होगी, उम्मीदवारों का रक्तचाप ऊपर-नीचे होता रहेगा। इस बार के चुनाव परिणाम काफी रोमांचक होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।
जीतने वाला हार जाए और हारने वाला जीत जाए, कोई संदेह नहीं। जातिगत समीकरण भले ही प्रभावित करें या नहीं लेकिन दोनों दलों की भितरघात दोनों को नुकसान तो पहुंचाएगी। चाहे पार्टी से भितरघात हो या उम्मीदवार से… नुकसान तो होना ही है। आश्चर्य की बात यह कि उदयपुर शहर में इस बार भाजपा कार्यकर्ता ही दूसरे उम्मी दवार को भारी बता रहे हैं।
न सिर्फ चर्चाओं में बल्कि फीडबैक में भी यह बात गई कि विरोधी प्रत्याशी भले ही कमजोर हो लेकिन भितरघात हमारे प्रत्याशी को ले डूबेगी। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के साथ मजबूरी यह रही कि न सिर्फ राष्ट्री य बल्कि राज्या स्तेर के नेताओं तक ने उनसे दूरी बनाए रखी। सिर्फ एक बार केन्द्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास ने उनके समर्थन में जनसम्पर्क किया बाकी कोई नेता उनके साथ नहीं आया और उन्हें उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया। यहां से कुछ दूरी सलूम्बर, गोगुंदा तक नेता पहुंचे लेकिन उदयपुर शहर में कोई नहीं आया। ऐसे ही हाल भाजपा में भी रहे बल्कि भाजपा प्रत्याशी को और अपना क्षेत्र छोड़कर दूसरों के यहां प्रचार को जाना पड़ा। वे इतने आश्वस्त रहे कि अपना क्षेत्र समर्थकों के भरोसे छोड़ गए और अपने खड़े किए गए उम्मीदवारों को जिताने के लिए उनके समर्थन में जनसंपर्क किया।