आज अंतिम दिन मेला
उदयपुर। आम तौर पर हम घर में मशीन से तैयार किया हुआ फर्नीचर लाकर उसे सजाते है लेकिन वे फर्नीचर घर में वो शोभा नहीं बढ़ा सकते है जो सहारनपुर के फर्नीचर बढ़ाते हैं क्योंकि सहारनपुर के फर्नीचर में काम आने वाली आसाम व शीशम एवं अर्जुन की छाल की लकड़ी को गैस पर 20 डिग्री तामपान पर जलाकर उस पर हाथ से नक्काशी की जाती है।
रूडा (रूरल नॉन फार्म डवलपमेंट एजेंसी) की ओर से टाऊनहॉल में आयोजित दस दिवसीय राष्ट्रीय क्राफ्ट मेला ‘गांधी शिल्प् बाजार 2013’ में सहारनपुर से आए शिल्पकार बाबू खंा ने बताया कि लकड़ी को जलाकर फर्नीचर बनाने से उसमें कीड़ा लगने की संभावना समाप्त हो जाती है और वह फर्नीचर पानी में भी खराब नहीं होता है। सहारनपुर का फर्नीचर जनता की आंखों का लुभा रहा है क्योंकि गत 8 दिनों में इस फर्नीचर ने जनता की दिलों में खूब जगह बनायी है।
बाबू खां बताते है कि फर्नीचर पर थिनर, सुन्दरस, पेटोल, टचवुड चारों को मिलाकर रंग तैयार किया जाता है जिसका प्रयोग फर्नीचर पर किया जाता है। इस सहारनपुर फर्नीचर कारोबार का भविष्य काफी उज्जवल दिखाई देता है क्योंकि जनता हाथ से की नक्काशी को काफी पसन्द कर रही है। मेले में बाबू खां फ्लावर पॉट, कॉर्नर, टेबल, आराम चेयर, ड्रेसिंग, रॉकिंग चेयर, कुशन के सोफे, डबल बेड, डायनिंग सेट लाए है। मेले में इस स्टॉल पर 500 रूपयें की बेबी चेयर से लेकर 22 हजार रूपयें का महाराजा फर्नीचर उपलब्ध है।
रूडा के महाप्रबन्धक दिनेश सेठी ने बताया कि मेला अपने अंतिम दिनों में चरम पर पहुंच चुका है। गुरूवार को मेले का अंतिम दिन है। मेले में जनता के मिले अपार समर्थन के कारण मेले की बिक्री 76 लाख पंहुच गई।
Thanks you for this great article