भविष्य क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी : दो दिन की पूछताछ के बाद सचिव व कोषाध्यक्ष गिरफ्तार, जमीन की योजनाएं सिर्फ कागजों में
उदयपुर। जमीनों में पैसों का निवेश करने का झांसा देकर हजारों लोगों से करोड़ों रुपए वसूलने वाली भविष्य क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की जांच में चौंकाने वाला खुलासे हुए हैं। सोसायटी के पदाधिकारियों ने देश भर से करीब दो सौ करोड़ रुपए का निवेश करा सौ करोड़ रुपए का गबन कर लिया। जमीन से जुड़ी जो योजनाएं निवेशकों को बताई गईं, वह कागजी ही निकलीं। सोसायटी के पदाधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों को अपनी योजनाएं बताईं थी।
पुलिस अधीक्षक अजयपाल लाम्बा ने शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि भविष्य क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी अध्यक्ष दामोदर नागदा, उपाध्यक्ष संजय शुक्ला, कोषाध्यक्ष अरविंद मेहता, सचिव राजेश शर्मा लोगों को उनकी योजनाओं में अधिक से अधिक निवेश कराने के लिए प्रेरित करने के लिए हथकण्डा अपनाते थे। उन्होंने निवेशकों से संभाग के कई क्षेत्र में करोड़ों की जमीन खदीदने तथा उन पर बड़ी-बड़ी प्लानिंग काटकर अरबों रुपए कमाने का झांसा दिया था। इसके लिए उन्होंने बड़े निवेशकों को जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें दिखाए। जिनमें हजारों बीघा जमीन सोसायटी के नाम पर दर्शाई थी। इस तरह महज कागजों में हजारों बीघा जमीन स्वयं के नाम पर होना बताया था। उनमें कुराबड़ में दो हजार बीघा भूमि पर कुराबो सिटी बनाए जाने की योजना भी शामिल है।
पुलिस ने जब सोसायटी से जब्त दस्तावेजों की जांच की तो जो जमीनें उन्होंने स्वयं के नाम होना बता रखा था, वह दरअसल किसी और के नाम ही निकली। अभी तक जांच में पता चला कि सोसायटी ने लोगों से विभिन्न योजनाओं में 200 करोड़ रुपए का निवेश कराया और इसमें से प्रारंभिक जांच में ही सौ करोड़ रुपए का गबन सामने आ चुका है। जब सोसायटी के पदाधिकारियों को लगने लगा कि वह निवेशकों का पैसा नहीं लौटा पाएंगे तो वह फरार हो गए। पिछले दिनों सरेंडर करने वाले सोसायटी के कोषाध्यक्ष अरविन्द मेहता व सचिव राजेश शर्मा की भी लिप्तोता इसमें पाए जाने पर उनकी गिरफ्तारी कर ली गई। जांच के लिए सेंट्रल को-ऑपरेटिव सोसायटी से सम्पर्क किया जा रहा है जो उदयपुर आकर जांच में सहयोग करेगी। पूरे प्रकरण की जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप एसओजी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के स्तर के अधिकारी द्बारा की जाएगी, जो शुक्रवार शाम उदयपुर पहुंच गए।
21 निदेशक, पर चार ही आरोपी
एसपी ने बताया कि इस सोसायटी में 21 निदेशक हैं, जिसमें से केवल चार को ही आरोपी बनाया गया है। शेष 17 निदेशकों को पता ही नहीं है कि सोसायटी में कौन सी योजनाएं है और कितना निवेश किया हुआ है। सरेंडर करने वाले निदेशकों को भी सोसायटी के अध्यक्ष दामोदर नागदा और उपाध्यक्ष संजय शुक्ला के बारे में पता नहीं है।
100 करोड़ का गबन खाते में कुछ नहीं
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि चारों पदाधिकारियों के खातों को सीज कर दिया है, परन्तु किसी भी पदाधिकारियों के खातों में नाममात्र की राशि जमा है। पुलिस को शंका है कि आरोपियों ने समय रहते हुए बेनाम सम्पतियां खरीद ली और सारे पैसे अपने अन्य परिजनों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।
sanaj sukla tune acha ni kiya ..garib logo ke paise kha ke tu is janm me kabi khush ni rah sakta..sale dalal kahi ke