विराट कवि सम्मेलन में खूब बही काव्य सरिता
महावीर जयन्ती के नौ दिवसीय समारोह का आगाज
उदयपुर। हे महावीर तेरी जय हो, तेरी जय हो निश्चय हो . . . जैसी पंक्तियां जब भारतीय लोक कला मण्डल के खचाखच भरे मुक्ताकाशी रंगमंच पर गूंजी तो माहौल में महावीर जयंती जन्म कल्याणक का स्वप्न साकार हो उठा। दर्शक दीर्घा से जय महावीर, जय महावीर की ध्वनि गूंज उठी।
महावीर जयंती के उपलक्ष्य में महावीर जैन परिषद के बैनर तले जैन जागृति सेंटर के तत्वावधान में शनिवार रात आयोजित कवि सम्मेलन से पूर्व ज्वेल्स ऑफ लेकसिटी के सम्मान से शहर की आठ विभूतियों को नवाजा गया।
इनमें सुंदरलाल डागरिया, अनिल मेहता, भाविक जैन, आर्यन परमार, सनत जैन, संजय बड़ाला, धीरज सामर एवं नाथूलाल डांगी शामिल हैं। इन्हें प्रशस्ति पत्र, उपरणा, माल्यार्पण, तिलक लगा श्रीफल भेंटकर मेवाड़ी पगड़ी से समाज भूषण किरणमल सावनसुखा, नाकोड़ा ज्योतिष कार्यालय के संस्थापक कांतिलाल जैन, जिला प्रमुख मधु मेहता, महापौर रजनी डांगी, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल एवं महावीर जैन परिषद के संयोजक राजकुमार फत्तावत ने अभिनंदन किया।
कवि सम्मेलन की संयोजन समिति के सदस्य दिनेश मेहता, रमेश दोशी, नितुल चंडालिया, धर्मेश नवलखा, सुरेश नाहर, श्याम नागौरी, लक्ष्मण शाह, लोकेश कोठारी, चन्द्रशेखर चित्तौड़ा, मनीष गलूण्डिया, गुणवंत वागरेचा, राजेन्द्र जैन, सुनील मारू एवं रैनप्रकाश जैन ने माल्यार्पण, शॉल, उपरणा ओढ़ाकर कवियों एवं अतिथियों का अभिनंदन किया। शब्दों की स्वागत माला सेंटर के अध्यक्ष महेन्द्र तलेसरा ने रची। संचालन दीपक सिंघवी ने किया।
कवियों ने हास्य-व्यंग्य-श्रृंगार की धारदार कविताओं से देर रात तक श्रोताओं को रसमग्न कर दिया। कवियों ने अपनी पैनी रचनाओं से न केवल राजनीति, राजनीतिज्ञों पर निशानेबाजी की अपितु समाज की विसंगतियों तथा क्षरण होते मानवीय मूल्यों पर भी कटाक्ष किया।
नई दिल्ली के पद्मभूषण अशोक चक्रधर ने अपने चिर परिचित अंदाज में तू गर दरिंदा है तो ये मसान तेरा है, अगर परिंदा है तो आसमान तेरा है, तबाहियां तो किसी और की तलाश में थीं, कहां पता था उन्हें ये मकान तेरा है सुनाकर दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
परिषद के संयोजक एवं जैन जागृति सेंटर के संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने अतिथियों का परिचय देते हुए बताया कि पहली बार इस वर्ष महावीर जयंती पर नौ दिन तक समारोह होंगे। इसके तहत विद्या श्री सम्मान, सेवा प्रकल्प, संगोष्ठी, विश्वशांति महाआरती, जैन मंगल मेहन्दी प्रतियोगिता, महिला संगठनों की सांस्कृतिक संध्या तथा भव्य भक्ति संध्या कार आयोजन किया जाएगा।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए उदयपुर के राव अजात शत्रु ने हे महावीर तेरी जय हो, तेरी जय हो, जय निश्चय हो, हिंसा की चौखट पर दुनिया, दुनिया में अहिंसा की जय हो. . सुनाकर माहौल को धर्ममय कर दिया। मथुरा के वीर रस के कवि मनवीर मधुर ने जय संयम को त्याग कभी हम क्रोध किया करते हैं, तब अंतस में कितने ही महाकाल जिया करते हैं, मुनि अगस्त्य की परम्परा को हम हैं जीने वाले, इक चुल्लू में सारा सागर सोख लिया करते हैं. .सुनाकर मन को झकजोर दिया। नागपुर से आए लाफ्टर के प्रतिभागी सरदार वाहेगुरु भाटिया ने भले ही जमाने को दिखाने के लिए, बस हौंसला चाहिए मुस्कुराने के लिए, इस जमाने के सितम का क्या गम करें, इसे तो बस मौका चाहिये रूलाने के लिए सुनाकर जीवन की हकीकत बयां की। बेटमा के संजय खत्री ‘कालाधन’ ने चार लाइनें ‘आइने से कभी पूछना, सच्चाई क्या होती है। बेवा से कभी पूछना, शहनाई क्या होती है। बेटे की चंद सांसों के लिए अस्मत भी बेच दी जिसने उस मां से कभी पूछना दवाई क्या होती है’ प्रस्तुत की तो सभागार में बैठे श्रोता देश की वर्तमान हालत और औरत की स्थिति को लेकर व्यथित हो उठे।
शाजापुर से आए कवि दिनेश देशी घी ने आज की समसामयिक समस्याओं की बातें करते हुए न बात रही संस्कारों की न आदर्शी नारों की, जब हमने पेड़ बबूल का बोया तो खता फिर क्या बहारों की, जब टिंकू ने कंकर मारा जिसकी चर्चा आम हुई, हालात का क्या दोष है यारों, जो मुन्नी बदनाम हुई कविता सुनाकर सभी का मन मोह लिया।