मक्का उन्नयन पर 57वीं वार्षिक कार्यशाला का समापन
उदयपुर। मक्का अनुसंधान निदेशालय नई दिल्ली के परियोजना निदेशक डॉ. ओ. पी. यादव के अनुसार मक्का उन्नयन हेतु मक्का की नई व संकर किस्मों के विकास पर जोर देना आवश्यनक है जो कम पानी, मृदा उत्पादकता की कमी व प्रतिकूल मौसम को सहन कर सके। साथ ही विभिन्न रोग प्रतिरोधक क्षमताओं से युक्त हो।
वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत मक्का उन्नयन पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 57वीं वार्षिक कार्यशाला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में विभिन्न तकनीकी सत्रों में देश के विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों से आये कृषि वैज्ञानिको ने अनुसंधान परिणामों एवं भावी योजनाओं पर मंथन किया। कार्यशाला में चर्चा का केन्द्र बिन्दु देश में मक्का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने पर रहा। डॉ. यादव ने बताया कि इस कार्यशाला में 33 नवीन संकर किस्मों को अनुमोदन के लिए किस्म पहचान समिति के पटल पर रखा गया जिसमें से 25 नवीन किस्में जो कि अधिक पैदावार एवं सूखा एवं व्याधि सहिष्णु पायी गयी की अनुशंसा की गयी।
बुधवार को आयोजित तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता, अनुसंधान निदेशक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के डॉ. पी. एल. मालीवाल ने की। इस सत्रों में सह अध्यक्षता डॉ. ओ. पी. यादव, परियोजना निदेशक, मक्का अनुसंधान निदेशालय, नई दिल्ली ने की। इन सत्रों में मक्का प्रजनन, मक्का की खेती एवं मक्का में कीट व्याधि एवं सूत्रकृमि रोगों के दृष्टिकोण से मक्का उन्नयन किए जाने की कार्ययोजना पर चर्चा की गयी।
डॉ. मालीवाल ने बताया कि कार्यशाला में अनुमोदित नवीन किस्मों में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित ‘प्रताप संकर मक्का-3‘ को भी शामिल किया गया है। मक्का की यह किस्म राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, गुजरात व छत्तीसगढ़ के लिए भी जारी की गई है। यह किस्म 84 से 88 दिन में पककर तैयार हो जाती है तथा इसकी पैदावार 55 से 60 क्विं./हैक्टेयर है।
कार्यशाला में निम्न बातें उभर कर सामने आई :
देश में मक्का के उत्पादन को बढ़ाने के लिए रबी में मक्का के एवं सिंचित क्षेत्रों के अनुकूल मक्का की संकर किस्मों को बढ़ावा देना।
देश के विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के मध्यनजर अनुकूल किस्मों का विकास करना। विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में वहाँ के अनुकूल अल्प समय, मध्यम एवं देर से पकने वाली उपयुक्त किस्मों को लगाने की अनुशंसा की गयी।
देश में उपलब्ध उच्च गुणों वाले जीवद्रव्यों एवं किस्मों का संरक्षण एवं उनको बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
भारत सरकार के कृषि विभाग की अनुशंसाओं पर अधिकाधिक प्रजनक बीज उत्पादन करना।
राज्य बीमा निगमों एवं कृषि विभागों की सहभागिता से मक्का की संकर किस्मों द्वारा पारंपरिक बीज प्रतिस्थापन दर को बढ़ावा देना।
मक्का की नवीन संकर किस्मों के अनुमोदन से पूर्व विभिन्न जलवायु परिस्थितियों, मृदा के पोषक स्तरों, वर्षा आधारित क्षेत्रों मे अंतःफसलीय शस्य तकनीकों व फसल चक्रों के आधार पर व्यापक स्तर पर परीक्षण करना।
मक्का की फसल में परिष्कृत खेती की विधियों तथा जल के समुचित उपयोग, खरपतवार प्रबन्धन तथा स्वीट कॉर्न में ड्रिप सिंचयन व ड्रिप के द्वारा खाद के समुचित उपयोग पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता।
मक्का के परिष्कृत उत्पादों एवं संकर किस्मों के विकास हेतु अंतराष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों व पब्लिक प्राइवेट सहभागिता की अनुशंसा।