हुमड़ भवन में चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना
उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि सुखपूर्वक जीने का सर्वोतम मार्ग संयम है। हम संयम पूर्वक जीवन जीयें तो अनेक संकट सहज ही समाप्त हो जायेगें। स्वर्ग और नरक ये परलोक के नाम है किन्तु यहाँ भी हम स्वर्ग नरक का निर्माण कर सकते हैं।
हम अपनी कमी को स्वयं पहचानने लगेंगे तो हमारें आस-पास स्वर्गमय वातावरण बनता चला जायेगा और यदि प्रत्येक दुर्घटनाएं व अन्य कोई कारण मानेगें और स्वयं की समीक्षा नही करेगें तो आपका घर नरक बन जाएगा। वे आज वे आज पंचायती नोहरे में ‘आनन्दपूर्वक जीवन कैसे जीएं’ विषय पर आयोजित विशेष प्रवचनमाला के तहत उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि प्रतिस्पर्धा ही करनी है तो किसी महानकार्य को हाथ में लेकर करो, केवल निरर्थक प्रदर्शन की होड़ में बर्बाद हो जाना कोई बुद्धिमता की बात नहीं है। बड़े ओसवाल सभा के मंत्री अनिल कोठारी तथा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत का स्वगात किया गया। संचालन श्रावक संघ महामंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया। मुनिश्री ने कहा कि प्रतिस्पर्धा ही करनी है तो किसी महानकार्य को हाथ में लेकर करो केवल निरर्थक प्रदर्शन की होड़ में बर्बाद हो जाना कोई बुद्धिमता की बात ही है। उन्होंने कहा कि धन एक उत्पादक द्रव्य हैं, यह अनेक अच्छे कार्यों का उत्पादन कर सकता हैं किन्तु यह धन प्रदर्शन की होड़ में उड़ा दिया जाता है तो भयंकर संकट का कारण बन जाता हैं। प्रदर्शन से धन तो चला जाता हैं पीछे दुश्चिंताओं और दु:ख छोड़ जाता है। वीरेन्द्र डांगी की अध्यक्षता में चातुर्मास व्यस्था समिति की बैठक हुई जिसमें चातुर्मास सम्बंधित व्यस्थाओं पर समीक्षा की गयी। इस बैठक में सवा सौ लोग मौजूद थे।
अपने हाथ बढ़ाओ संतों की ओर
तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में रविवार को आचार्य शांतिसागर के सानिध्य में चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना हुई। इस दौरान शहर सहित मेवाड़- वागड़ क्षेत्र के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से आये सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। समारोह में विभिन्न धार्मिक एवं मांगलिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिनमें चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट एवं गुरू पूजा सहित भक्ति संगीत- नृत्य के आयोजन हुए। इन मांगलिक आयोजनों के पुण्यार्जकों में खूबचन्द प्रकाशचन्द्र सिंघवी, जयन्तिलाल डागरिया, निर्मल कुमार मालवी, पुष्कर भदावत, महावीर देवड़ा, सुन्दरलाल फड़िया आदि थे। आचार्य ने कहा कि तुम अपने हाथ संतों की ओर बढ़ाओ, तुम्हारा जीवन बदल जाएगा। तुम अपना जीवन धर्म में लगाओ, तुम्हारे जीवन में भगवान महावीर का वास हो जाएगा। यह चातुर्मास ऐतिहासिक बने, धर्मप्रभावना का मुख्य कारक बने, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। समारोह में शान्तिलाल वेलावत का विशेष सहयोग रहा।