उदयपुर। साध्वी कनकश्रीजी ठाणा 5 ने कहा कि धार्मिक एवं स्वास्थ्य जागरूकता की दृष्टि से खाद्य संयम आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पयुर्षण का अर्थ चारों और बिखरी अपनी शक्तियों को एक जगह समेटकर स्वयं को जाग्रत करना है। पहला दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया।
वे तेरापंथी सभा की ओर से चातुर्मासिक प्रवचन के तहत शुक्रवार से शुरू हुए पर्वाधिराज पर्युषण के पहले दिन अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि आज का दिन अदभुत, अलौकिक है। तेरापंथ को जैन शासन देने वाले आचार्य जयाचार्य का आज निर्वाण दिवस भी है जिन्होंने पूरे जैन शासन को नया आलोक प्रदान किया। वे स्वयं एक प्रकाशपुंज के समान थे। महामनस्वी संत आचार्य जयाचार्य विभिन्न विधाओं मे पारंगत थे जिन्होने राजस्थानी भाषा मे गद्य व पद्य एव साहित्य की रचना की। खाद्य संयम दिवस पर साध्वी मधुलेखा, साध्वी समिति प्रभा ने भी विचार व्य क्तय किए। सभा अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने पर्युषण महापर्व पर तेरापंथ संघ की ओर से 22 से 30 अगस्त तक होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं साध्वी कनकश्रीजी के सानिध्य में पर्युषण का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेने की अपील की। पहले दिन साध्वी कनकश्रीजी के सानिध्य मे चंदनबाला व चक्रवती का तेला सामूहिक तप अनुष्ठान प्रारंभ हुआ जिसमें साधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं ने तपकाल में श्री महावीराय नम: मंत्र का जाप करने की अपील की। मंगलाचरण शशि चह्वाण, मंजू फत्तावत, केसर तोतावत, वंदना पोरवाल, मीना सिंघवी, सुनीता श्रीमाल, साधना तलेसरा एवं मीना धाकड़ ने किया। सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि शनिवार को पर्युषण का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
स्थानकवासी श्रमण संघ के पर्युषण आज से
उदयपुर। श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि महाराज ने कहा कि जीवन के मुख्यतया पांच अंग हैं स्वाध्याय, उपवास, प्रतिक्रमण, क्षमायाचना और दान। इन सभी का जीवन में और विशेषत: पर्युषण पर्व के दौरान उपयोग करना चाहिये। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी ने बताया कि सौभाग्य मुनि एवं अन्य मुनिवृन्द के सानिध्य मं। शनिवार से प्रारम्भ हो रहे पर्युषण पर्व के दौरान प्रतिदिन पंचायती नोहरे में स्वाध्याय के रूप में निरंतर धार्मिक प्रवचन होंगे। विशेष सूत्र अन्तकृत दशांग सूत्र का प्रतिदिन वाचन होगा। प्रतिदिन सुबह व सांयकाल प्रतिक्रमण होंगे जो आत्मशुद्धि के लिए नितांत आवश्यक हैं।
पर्युषण के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम : श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन युवक परिषद की ओर से प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र सेठिया ने बताया कि 23 को रात्रि 8 बजे फैन्सी ड्रेस, 24 को सामाजिक अभ्युदय में युवाओं की भूमिका विषयक भाषण प्रतियोगिता नौ बजे, इसी दिन रात्रि 8 बजे रंगोली प्रतियोगिता, 25 को गीत-संगीत व कविता, 26 को जैन हाऊजी, 27 को धार्मिक एवं देशभक्ति पर आधारित अंत्याक्षरी, 28 को धार्मिक नाटक, 29 को जय महावीर तथा 30 को संवत्सरी का आयोजन होगा।
दुख का मुख्य कारण रोग एवं राग
जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ जिनालय की ओर से शांतिनाथ-सोमचन्द्र सूरी आराधना भवन में पर्युषण के प्रथम दिन आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रवर हितरति महाराज ने कहा कि जीवन में दुख का सबसे बड़ा एवं मुख्य कारण रोग एवं राग है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को महान बनने से पूर्व इंसान बनना चाहिये। जीवन में 85 प्रतिशत खाने से होते है। पर्युषण के दौरान उपवास एक धार्मिक क्रिया है।