देर तक जमा कवि सम्मेलन
उदयपुर। देश के विभिन्न प्रांतों से आए कवियों ने रविवार को सतरंगी रोशनी में सजे धजे नगर निगम प्रांगण में जब हास्य, व्यंग्य वीर रस के बाण चलाए तो मानो समय ठहर सा गया। दीपावली मेला 2014 के छठे दिन आयोजित आरके मार्बल व नगर निगम के संयुक्त तत्वावधान में हुए कवि सम्मेलन को सुनने मानो पूरा शहर उमड़ पडा़।
कवि सम्मेलन शुरू होने से पूर्व ही पूरा सदन खचाखच भर गया और लोग कवियों को सुनने को बेताब दिखे। कवि सम्मेलन में देश के ख्यातनाम कवियों ने अपने हास्य, व्यंग्य, वीर रस के अंदाज में श्रोताओं को देर तक बांधे रखा। एक और कवि सम्मेलन आयोजित था तो दूसरी तरफ मेले का भी शहरवासियों ने जमकर लुफ्त उठाया। महिलाओं ने जमकर खरीददारी की। मेले में सभी स्टालों पर भीड रही और खासकर मुंबई से आई फैंसी ज्वेलरी पर युवतियों का मजमा लगा रहा। कार्यक्रम में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री गुलाबचंद कटारिया, भाजपा नेता सतीश पूनिया सहित सहित कई सम्मानित अतिथि थे।
शुरूआत में राव अजात शत्रु ने मंच संचालन करते हुए कवियों से शहरवासियों का रूबरू करवाया। कवि सम्मेलन में सबसे पहले नई दिल्ली से आई कवियत्री शालिनी सरगम ने ‘सबसे पहले तेरे चरणो में मां मेरा वंदन है…’ के माध्यम से मां सरस्वती का वंदन किया उन्होंने ‘किसी के रूप था जब तक कोई घायल नहीं होता, ना सहता तीर नज़रों के कभी घायल नहीं होता…’ गीत सुनाया। सिंगोली से आए श्याम पाराशर ने ‘नेताओं को जलवे और रहने का ढंग, मैं देख हो जाता हूं दंग…’, ‘जब मैंने चुनाव लड़ा, मिलने वालों ने दौड़ दौड़ कर बहुत किया काम, मगर किसने किसके वास्ते यह जाने राम…’, फरीदाबाद से आए सरदार मनजीतसिंह ने ‘इक लैला के पांच है मजनूं, रांझे की छत्तीस हीरें, डेटिंग करते बदल बदल के आया नया जमाना है…’, ‘नेताओं ने बारे में चुनाव समय और बात बात में चांटा मारेंगे ये, पहले छुएंगे चरण, मुफ्त मिलेगी साड़ी पहले, बाद में होगा चीर हरण…’, उदयपुर के अजात शत्रु ने ‘आस्था के सेतु बंध टूटने लगे, अस्तु भ्रष्ट्र राजनेताओं के दंभ तोड़ते चले…’, अलीगढ़ के गीतकार डा विष्णु सक्सेना ने ‘जमीन जल रही है फिर भी चल रहा हूं मैं, खिजां का वक्त है और फूल फल रहा हूं मैं…’, कोटा से आए जगदीश सौलंकी ने ‘मां तेरी दुआ के दम से आंचल की हवा के दम से, बर्फीली चट्टानों पर बारूद को उगाया है…’, मेरठ से आए डा हरिओम पंवार ने अपने चिर परिचित अंदाज में जब मंच से ‘मैं चारण हूं चौराहों पर, आंख लाल कर कहता हूं, मैं सत्ता के गिरेबान में हाथ डाल कर कहता हूं, सत्ताधीशों के अधरों पर प्यािला सहन नहीं होता, सिंहासन पर कोई गूंगा बहरा सहन नहीं होता…’ सुनाई तो सदन तालियों से गूंज उठा। हास्यह रस के प्रमुख चेहरे ग्वा लियर के प्रदीप चौबे ने अपनी चिर परिचित रचनाओं, हास्या फुलझडि़यों से श्रोताओं को खूब हंसाया।
आज स्पंदन : मेला प्रवक्ता कृष्णकांत कुमावत ने बताया कि सोमवार को नगर निगम द्वारा आयोजित दीपावली मेला 2014 के तहत हो रही सांस्कृतिक संध्याओं में 20 अक्टूबर सोमवार को स्पंदन संध्या का आयोजन होगा। सांस्कृतिक संध्याओं की अंतिम नाईट में शहर की जनता की मांग व उदयपुर के कलाकारों के उत्साह को देखते हुए नगर निगम ने इस संध्या को कराने का आयोजन रखा है।