उदयपुर। ज्ञान का संग्रहण एवं सही परिप्रेक्ष्य में सम्प्रेषण एक गंभीर सामाजिक दायित्व है। इसी माध्यम से एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को परम्परा का हस्तांतरण करती है। यह सत्य है कि सृष्टि सदा परिवर्तनशील है किन्तु परिवर्तन प्रायः इस सहजता से अथवा अवचेतन तरीके से हो जाते हैं कि उनकी अनूभूति नहीं होती।
ये विचार मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष व विश्वविद्यालय की पीजी डीन प्रो. सीमा मलिक ने टाइम बाइन्डिंग एण्ड सोशल रेस्पोंसिबिलिटी विषयक जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग तथा बलवंत राय पारख सेंटर, बड़ौदा के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने की। उन्होने कहा कि समय के परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए ज्ञान के प्रवाह की निरन्तरता एवं नवोन्मेष आवश्यक है। उन्होने कहा कि समाज में हाशिए पर रह रहे वर्गों, ग्रामीण जनों व वंचितों के लिए शोध व संरक्षण का कार्य महत्वपूर्ण है। विद्यापीठ के संस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर का स्मरण करते हुए प्रो. सांरगदेवोत ने कहा कि पण्डित नागर में अतीत के ज्ञान को भविष्य की रचना से जोड़कर देखने की विलक्षण क्षमता थी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बलवंत पारख सेंटर फॉर सिमेन्टिक्स एण्ड ह्यूमन साइंसेज के निदेशक प्रो. पीसी कार ने कहा कि समय निरन्तरता में प्रवाह करता है। वह वाष्पीकृत नहीं होता। वह अपने पदचिन्ह छोड़ जाता है। महान विचारक, चिन्तक, समाज निर्माता इत्यादि लोग अपनी छवि छोड़ जाते हैं। उनके द्वारा प्रदत्त विचार प्रारम्भ में चाहे अत्यंत प्रखर न लगते हो, किन्तु समय के साथ-साथ उनकी प्रखरता बढ़ती जाती है व वे क्रांतिकारी साबित होते है। हमारे अस्तित्व की भी एक निरन्तरता होती है। इस प्रकार के विचार तत्काल चाहे लाभकारी न लगे, दीर्घकाल में लाभकारी साबित होते हैं। विचार की निरन्तरता को समझने के लिए भूतकाल व भविष्य की अनूभूति आवश्यक है।
प्रारम्भ में अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष प्रो. मुक्ता शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। बलवंत पारख सेंटर बड़ौदा की बिन्नी बीएस ने धन्यवाद दिया। संचालन डॉ. हिना खान, सहायक आचार्य प्रबंध संकाय ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल, डाईरेक्टर एकेडमिक प्लानिंग प्रो. जी. एम. मेहता, पी.जी. डीन प्रो. प्रदीप पंजाबी, डीन फेकल्टी ऑफ सोशल साइंसेज एण्ड ह्यूमेनिटीज प्रो. सुमन पामेचा, अंग्रेजी विभाग के प्रो. हेमेन्द्र चण्ड़ालिया, मेहजबीन सादडी वाला, इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो. नीलम कौशिक, लेंखाकन विभाग की अध्यक्ष प्रो. अनिता शुक्ला, समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजय मिश्रा, डॉ. ममता पानेरी, डॉ. पारस जैन, डिपार्टमेंट ऑफ कम्प्यूटर साइंस एण्ड आई टी विभाग के निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली, एफ. एम. एस. के निदेशक प्रो. एम. एस. राव आदि उपस्थित थे। कार्यशाला का समापन गुरूवार को होगा।