राज्यपाल ने लिया सुखाडि़या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा
उदयपुर। राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा कि वर्तमान प्रसंगों में शिक्षा को रोजगार व कौशल विकास से जोड़ने की आवश्यकता है, यदि देश में हर हाथ को रोजगार मिल जाए तो अगले पन्द्रह वर्षों में भारत का नक्शा ही बदल जाएगा।
वे रविवार को उदयपुर के मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय में बाईसवें दीक्षान्त समारोह में मौजूद विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि युवा अशिक्षित है तो देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता, शिक्षा को रोजगारपरक नहीं अपितु रोजगारसृजक बनाया जावे तथा षिक्षा इस प्रकार की हो कि विद्यार्थी नियुक्ति की ओर प्रयासरत न होकर स्वयं नियोक्ता बने। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य संस्कारित नागरिकों का निर्माण करना है। हमारे प्राचीन गुरुकुल इसी मूल आधार पर अपने विद्यार्थियों को षिक्षित एवं संस्कारित करते रहे हैं। आज की शिक्षा पद्धति हमें अक्षर ज्ञान तो कराती है किन्तु सुषिक्षित एवं संस्कारित नहीं बना पाती। उन्होंने कहा कि विष्वविद्यालयों को ज्ञान की हमारी अपनी परम्परा की पहचान बनाने और पाठ्यक्रमों में उनको जगह दिलाने की जरूरत है। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वह अपने बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रबन्ध कर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहयोग दें। बढ़ते तकनीकी विकास एवं संचार सुविधाओं ने षिक्षक तथा विद्यार्थी की भूमिका एवं इनके संबंध के स्वरूप को बदल दिया है, इन पर गंभीरतापूर्वक मनन एवं मार्गदर्षन में अभिभावकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि आज इस बात की आवष्यकता है कि देष की प्रतिभाओं को देष के भीतर ही उचित माहौल मिले, उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने के अवसर मिलें, विदेषी पलायन की ओर उनका ध्यान कम हो। इस कार्य में उच्च गुणवत्ता वाले षिक्षण केन्द्रों को आगे आना होगा ताकि प्रतिभावान युवाओं का देश के लिये उपयोग हो सके। उन्होंने उच्च षिक्षा में शोध के क्षेत्र की संभावनाओं को उजागर किया और कहा कि हमें इस दिषा में सतत् कार्य करते हुए नये विषयों एवं नई संभावनाओं की तलाश में रहना चाहिये।
उन्होंने कहा कि विष्वविद्यालय का माहौल सद्भावना पूर्ण, संस्कारमय एवं मानवीय मूल्यों का पोषक बने। जो विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होने के साथ उन्हें अपनी संस्कृति एवं सभ्यता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये प्रेरित भी करे। उन्होंने यह भी कहा कि विष्वविद्यालयों से अपेक्षा है कि श्रेष्ठ शिक्षकों तथा श्रेष्ठ पुस्तकों की उपलब्धता सुनिष्चित करें और अनुशासनबद्ध शैक्षिक वातावरण का निर्माण करें। नवीन शोध एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करें, जिससे विद्यार्थियों को अपना भविष्य चुनने का सही व उपयुक्त अवसर मिल सके।
विद्यार्थियों को दिया पंचशील मंत्र : राज्यपाल ने विद्यार्थियों को पंचशील मंत्र दिया और कहा कि इनको यदि विद्यार्थी अपने जीवन में उतारे तो वह सफलता की ऊचाईयों पर पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि पंचशील मंत्र है व्यक्ति चरित्रशील हो, अनुशासनशील हो, समयशील हो, अन्य के प्रति विनयशील हो तथा कर्त्तव्यशील हो।
मानद् उपाधि सौंपी : राज्यपाल ने जैव रसायन विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले शोधकर्त्ता व वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. गोवर्धनलाल मेहता को डॉक्टर ऑफ साईंस तथा वरिष्ठ पत्रकार डॉ. गुलाब कोठारी को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि सौंपी। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आईवी त्रिवेदी ने मानद् उपाधि से अलकृंत द्वय व्यक्तित्वों के प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।
इससे पूर्व माननीय राज्यपाल के यहां पहुंचने पर एनसीसी की तीनों विंग द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। राष्ट्रगान व कुलगीत से प्रारंभ समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आईवी त्रिवेदी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. माधव मेनन ने विश्वविद्यालयों में अपेक्षित शैक्षिक संसाधनों के कारण शैक्षिक गुणवत्ता नहीं प्राप्त होने की स्थिति को उजागर करते हुए कुलपतियों को योग्य शिक्षकों की नियुक्ति के अधिकार प्रदान करने की बात कही। उन्होंने समय में बदलाव के साथ महिलाओं के शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने की स्थितियों को स्वागतयोग्य बताया और ज्ञानवान समाज की आवश्यकता प्रतिपादित की। इस मौके पर मानद् उपाधि से अलंकृत प्रो. मेहता व डॉ.कोठारी ने भी संबोधित किया। सुखाडि़या विश्वविद्यालय द्वारा 2013 की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए पीजी, एमफिल और पीएचडी में सफल रहने वालों को 172 को उपाधियां एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। संचालन आरपी शर्मा ने किया।