भारतीय समाज में पुरुष कर्ता तथा स्त्री अधिकरण की भूमिका में
उदयपुर। जोधपुर उच्च न्याकयालय के न्यायाधीश गोविन्द माथुर ने महिला उत्पीड़न सम्बन्धी कानूनी जानकारी देते हुए कहा कि स्त्री उत्पीड़न का मुख्य कारण पुरुष के पास उत्पादन के संसाधनों का स्वामित्व एवं निर्णय शक्ति का होना तथा स्त्री का सामान्यतः इनसे रहित होना है।
वे शनिवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति एवं एम. एच. आर. एम के सौजन्य से विश्वविद्यालय अतिथि सभागार में कार्यस्थल पर ‘‘महिला-उत्पीड़न के रोकथाम हेतु सामान्य जागरूकता‘‘ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्हों ने 2013 में पारित नए अधिनियम को आम जनता की भाषा में सहज रूप में प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया, ताकि जन सामान्य को इनके विषय में जागरूक किया जा सके। साथ ही उन्होंने स्त्रियों को पारम्परिक वर्जनाएं छोड़ते हुए अपने विषय में जागृत होने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि प्रो. सुनीता जैदी ने कहा कि स्त्री-उत्पीड़न को रोकने के लिए नए कानूनों के निर्माण के स्थान पर समाज की सामान्य सोच में सकारात्मक बदलाव की जरूरत है। उन्होंने शिक्षा, आर्थिक आत्मनिर्भरता तथा निर्णयात्मक शक्ति को स्त्रियों के उत्थान के लिए आवश्यक बताया। समारोह को सम्बोन्धित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान में स्त्रियों की स्थिति चिंताजनक है, अतः इस दिशा में शिक्षण-संस्थाओं को पर्याप्त सक्रिय होने की आवश्यकता है।
संयोजक प्रो. मीना गौड़ ने विश्वविद्यालय की ‘‘आंतरिक शिकायत समिति‘‘ का परिचय देते हुए संगोष्ठी के उद्देश्य एवं उपादेयता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बदलती परिस्थिति में स्त्रियों की भूमिका में भी सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, परन्तु अभी भी कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ लिंग-भेद, उत्पीड़न आदि की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं।
एमएचआरएम के निदेशक प्रो. दरियाव सिंह चूंडावत ने अतिथियों का स्वागत एवं प्रो. एस. के. कटारिया ने धन्यवाद दिया। संचालन डॉ. मीनाक्षी जैन ने किया। संगोष्ठी के दो तकनीकी सत्रों में प्रो. अजय कुमार सिंह डेल्ही स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स, नई दिल्ली, प्रो. संजीव भाणावत, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, प्रो. देवकांता शर्मा, राजकीय महाविद्यालय, भीलवाड़ा एवं प्रो. सुनीता जैदी, जामीया मिलिया इस्लामिया युनिवरसिटी, नई दिल्ली प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे। सेमिनार के तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता प्रो. के. एस. गुप्ता ने की। प्रो. अजय सिंह ने अवेयरनेस तथा हैरेसमेन्ट वर्सेज डेवलपमेन्ट का विचार दिया और लड़कों के माइन्ड सेट को सही दिशा में विकसित करने पर जोर दिया। प्रो. संजीव भाणावत ने महिलाओं के विषय में मीडिया की भूमिका की चर्चा करते हुए सूचना एवं संचार माध्यमों द्वारा इस विषय में पर्याप्त संवेदनशील तथा उत्त रदायी बताया।
प्रो. देवकान्ता शर्मा ने अपने भाव-प्रवण सम्बोधन में स्त्री-विमर्श को पुरुष बनाम स्त्री से हटा कर पुरुष संग स्त्री अथवा स्त्री संग पुरुष बनाने पर बल दिया। प्रो. सुनिता जैदी ने महिला सशक्तिकरण एवं जागरूकता पर अपना व्याख्यान दिया। सेमिनार के अंतिम सत्र में खुली चर्चा हुई, जिसमें अध्यक्षता डॉ. सुशीला शक्तावत, जयनारायण विश्वविद्यालय, जोधपुर ने की। प्रो. केएस गुप्ता, प्रो. सुधा चौधरी, प्रो. वीएल चौहान, डॉ. दिग्विजय भटनागर, डॉ. जे.के. ओझा, डॉ. इरा भटनागर, डॉ. संजय लोढ़ा, डॉ. प्रतिभा तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने विचार व्यक्त कर सुझाव रखे।