तीन दिवसीय सेमिनार
उदयपुर। आचार्य प्रियतोषानन्द ने कहा कि वर्तमान में प्रचलित सभी दर्शन पूंजीवाद और साम्यवाद भौतिक और भाव जड़ता से ग्रसित है जिसके कारण विश्व में आर्थिक असमानता और असंतोष की भावनाएं प्रबल हैं। ऐसे समय में विश्व. बंधुत्व को स्वीकार करता हुआ दर्शन विकेन्द्रित अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक प्रजातंत्र और सहकारिता के आधार पर मनुष्य की न्यूनतम आवश्य कताएं भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और चिक्तिसा प्रदान करने के साथ समाज का संतुलित रूप से विकास करने वाला एकमात्र दर्शन है।
वे रविवार को टेकरी-मादडी रोड स्थित जागृति आश्रम पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंरने कहा कि भौतिक समृद्धि, मानसिक ऋद्धि और आध्यात्मिक सिद्धि के रूप में समस्त वानस्पतिक और जैविक सम्पदा के विकास की योजना है। उन्होंने कहा कि जीव रूपी मनुष्य को परम पुरुष से अपनी ऊर्जा मिलती है और तंत्र और योग सम्मत साधना के अनुशीलन से जीव भाव को परम पुरुष में मिला सकते हैं और मन के विस्तार से ही वसुधैव कुटुम्बकम को सही अर्थों में कार्यान्वित कर सकते हैं और साधना द्वारा आत्म कल्याण के साथ ही जगत की सेवा कर परम पुरुष के प्रति भक्ति जगा सकते है। सेमिनार में नियमित योगासन कक्षा और तांडव तथा कौशिकी नृत्य भी प्रस्तुत किये गए। सेमिनार में रीजनल सचिव आचार्य सद्गतानन्द अवधूत, डायोसिस सचिव आचार्य ललित कृष्णानद अवधूत, रीजनल महिला सचिव अवधूतिका आनंद संकल्पा आचार्या, भुक्ति प्रधान डॉ एसके वर्मा के साथ उदयपुर डायोसिस के सभी मार्गी बंधु उपस्थित थे।