किनारों व टापुओं को बचाये झील प्राधिकरण
उदयपुर। झील संरक्षण एवं विकास प्राधिकरण में गतिशील नागरिक सहभागिता की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। झीलों की सीमा निर्धारण में अधिकतम भराव तल के मापदंडों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए। यह मांग झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति एवं डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में हुए संवाद में उभरी।
संवाद में अनिल मेहता, तेजशंकर पालीवाल व नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि झीलों के वनस्पति (फ़्लोरा), जलीय जीव (फोना) तथा देसी प्रवासी पक्षी खतरे में है। आवास, रहवास व प्रजनन के स्थानों को मानवीय हस्तक्षेप व गतिविधियों से बचाना होगा। झीलों के किनारो की भूमि व टापुओं के पारिस्थितिक संरक्षण से ही पक्षी झीलों तालाबों पर आएंगे।
संवाद से पूर्व पिछोला झील में किए गए श्रमदान में घरेलु कचरा, हवन पूजन सामग्री, नारियल, मांस के सड़े टुकड़े, खाद्य सामग्री, शराब की बोतलें एवं जलीय खरपतवार निकाली गई। श्रमदान में रमेशचन्द्र राजपूत, मोहन सिंह, प्रताप सिंह, दीपेश स्वर्णकार, अजय सोनी, रामलाल गहलोत, कुलदीपक पालीवाल, चिया पुरोहित, जसवंतसिंह टांक, हरीश पुरोहित आदि ने भाग लिया।