श्री वैष्णव वैरागी समाज का समारोह
उदयपुर। काशी मठ के जगदगुरू रामानन्दाचार्य ने कहा कि ईश्व्र सर्वत्र व्याप्त है लेकिन हम सामान्य लोग हैं। हमें समझ में नहीं आता कि यह ईश्वर है। उन्होंने कहा कि ईष्वर हमें संसार में विभिन्न रूपों में विद्यमान है। जो सबको प्रेरणा दे, वह ईश्वर है।
वे रविवार को वैष्णव वैरागी समाज ओर से सीसारमा स्थित सीतामाता मंदिर में आयोजित प्रवचन में संबोधित कर रहे थे। उन्होंरने कहा कि साधु कर्म कराने वाला भी ईश्वकर है और बुरे कर्म कराने वाला भी ईश्वरर है। उन्होंने कहा कि ईश्वर द्वारा ही संसार के सारे निर्माण हो रहे है। जिन्हे आज के आधुनिक निर्माण कहा जाता है। वो निर्माण भी उसी ईश्वार के बनाए हुए है जिन्हंे तोड मरोड कर बनाया जा रहा है लेकिन उसका तो मूल है उसका जो प्रारंभ हुआ है वह तो ईश्वर से ही हुआ है। इतनी बडी सृष्टि की रचना क्या मनुष्य कर सकता है। इसलिए संसार को ईश्वर ने बनाया है अतः हमें उसका पालन करना चाहिए, उसका पोषण करना चाहिए, उसे सुन्दर बनाना चाहिए। ईश्वर सर्वत्र विद्यमान है।
उन्होंने कहा कि संसार में महिलाओं का महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन अलग अलग देषों में अलग अलग सम्प्रदायों, जातियों में उनके पृथक रूप है। भारतीय परम्पराओं में नारी का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन जो सम्मान पुरूष को प्राप्त है वह आज भी नारी का प्राप्त नहीं हो पाया है। उन्होने कहा कि नारी को पुरूष के बराबर दर्जा मिलना चाहिए क्योकि वे आज किसी भी क्षेत्र में पिछे नहीं है। नारी में आज सैन्य रक्षा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उन्होने भगवान राम एवं शबरी का उदाहरण देते हुए कहा कि जंगल में भगवान राम ने उसके झुठे बेर खाये। शबरी का जो जीवन क्रम है वह बडा ही प्रेरणादायक है वह सैकडो वर्षो तक प्रतिदिन दण्डकारण्य में जमा ऋषियों संतो की सेवा करती थी। उन्होने कहा कि साधु तेा हमारे समाज का मेरूदण्ड है वही टूट जाएगा तो फिर समाज को कौन बचायेगा। हमारा संविधान तो किसी को चरित्रहीन होने से नहीं रोकता, हमारा संविधान तो किसी को झूठ बोलने से नही रोकता। इस कार्य को सतकर्मी या साधु ही कर सकता है। अध्यक्ष भगवान वैष्णव ने बताया कि इस अवसर चितौडगढ़ के विधायक एवं पुर्व मंत्री नरपसिंह राजवी, जयंती भाई वैष्णव, रामचन्द्र वैष्णव, एनडी निमावत, गजेन्द्र शर्मा, महेन्द्र कुमार वैष्णव मुम्बई ने भी शंकरचार्य के प्रवचन का लाभ लिया हैं। इस अवसर पर समाज के सभी महिला एवं पुरुष उपस्थित थे। प्रवचन के पश्चात महाप्रसादी का आयेाजन किया गया।