फल तथा सब्जी उत्पादन पर कार्यशाला
उदयपुर। जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी नेहा गिरि ने कहा कि अच्छी सेहत व शुद्ध वातावरण की दृष्टि से किसान व आमजन आर्गेनिक फार्मिंग की तकनीक को अपनावें।
वे शनिवार को आर्गेनिक फॉर्मिंग व अरबन एरिया में कम लागत में सब्जी व फल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिला परिषद सभागार में आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता कर रही थी। उन्होंने कहा कि जिला परिषद व जिला प्रशासन के सहयोग से हरित धारा योजना के तहत फल एवं सब्जी उत्पादन के ज़रिये लगभग पांच हजार किसानों को फायदा हुआ है। ऑर्गेनिक फार्मिंग में रसायन एवं फर्टिलाइज़र्स का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता है। इस तकनीक द्वारा उत्पादित सब्जियों से किडनी, हार्ट व अन्य कई तरह की बीमारियों से बचाव संभव है।
सरकारी संस्थाओं में होगी खरीद : उन्होंने कहा कि यदि किसान ऑर्गेनिक फार्मिंग करते हैं तो उनके द्वारा उत्पादित फल एवं सब्जी मिड-डे-मिल स्कीम के तहत सप्ताह में दो बार खरीदी जा सकती है तथा राजकीय संस्थाओं व जेल, अस्पतालों, छात्रावासों, स्थानीय हाट एवं मण्डी आदि में बेची जा सकती हैं। इसी प्रकार कृषि उपज मण्डी की पिकअप वैन द्वारा किसानों से सब्जियां एकत्र कर शहर में बेची जायेंगी तथा शहरवासियों को ताज़ी एवं हरी सब्जियां खाने को मिल सकेगी।
कार्यशाला को मुख्य आयोजना अधिकारी सुधीर दवे ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में नरेगा की अधिशासी अभियंता प्रज्ञा सक्सेना ने बताया कि हरित धारा योजना के तहत उन्नत कृषि बीज, सब्जी मिनीकिट राष्ट्रीय बीज निगम से प्राप्त कर किसानों को वितरित किये गए जिसमें छः तरह की सब्जी के बीज बैंगन, टमाटर, मिर्ची, भिण्डी, तोरी, लौकी आदि थे।
हॉर्टिकल्चर के उपनिदेशक डॉ. रविन्द्र वर्मा ने पॉलीबैग्ज़ द्वारा सब्जी उत्पादन पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि आमजन घर पर ही दस-बीस बैग रखकर साल भर तक स्वयं के परिवार के लिए सब्जी उत्पादित कर सकते हैं।