च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट प्रणाली विषयक कार्यशाला
उदयपुर। कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि समाज, राज्य एवं देश की सभी समस्याओं का हल शिक्षा से ही संभव है। वर्तमान शिक्षा को रोजगार परक शिक्षा के साथ साथ आत्मानुशासन एवं आत्मानुभुति की शिक्षा बनाने की जरूरत है जिससे शिक्षा का वास्तविक कार्य पूर्ण हो सके।
वे जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग की ओर से ‘च्वॉजइस बेस्ड क्रेडिट प्रणाली’ विषयक प्रतापनगर स्थित सभागार में आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के लिए च्वॉ इस बेस्ड क्रेडिट प्रणाली को अनिवार्य कर दिया है। भारत में 70 विश्वविद्यालयों ने इस प्रणाली को लागू कर दिया है।
कार्यशाला सचिव एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुमन पामेचा ने बताया कि मुख्य वक्ता प्रो. गणेश कावड़ियसा ने बताया कि सेमेस्टर प्रणाली में शिक्षकों पर भार बढ़ जाता है, परन्तु इसकी पीड़ा विद्यार्थी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का युवा वर्ग कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को पढ़कर अनुशासित रूप से कार्य करें तो भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ होने से कोई नहीं रोक सकता। मुख्य अतिथि कोटा विवि के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि आज का विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद परम्परागत कौशल भी भूल जाता है। उन्होने कहा कि किसान का बेटा पढ़ लिखकर अन्य कार्य करना पसंद करता है लेकिन वह खेती नहीं करेगा इसी उद्देश्य को लेकर यूजीसी की नई गाईड लाईन के अनुसार पाठ्यक्रमों में कौशल विकास के पाठ्यक्रमों को जोड़ा गया है। विशिष्ठ अतिथि रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी. अग्रवाल ने कहा कि आज का युवा कौशल विकास के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने मोबाइल का उदाहरण देते हुए कहा कि आज का युवा कम्प्यूटर, मोबाइल के फीचर्स समझने में देर नहीं लगाते। इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ प्रो. विजय गुप्ता ने सीबीसीएस प्रणाली की जानकारी देते हुए पाठ्यक्रमों में इकाईयों का वर्गीकरण, क्रेडिट प्रणाली, ग्रेड प्रणाली, आंतरिक एवं ब्राह्य मूल्यांकन, प्रश्न पत्र एवं उसका स्वरूप आदि की विस्तृत जानकारी दी। संचालन डॉ. धीरज जोशी ने किया। प्रारंभ में सेमीनार प्रभारी एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुमन पामेचा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सेमीनार की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर पीजी डीन प्रो.प्रदीप पंजाबी, डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. हिना खान, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, डॉ. युवराज सिंह, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. मंजू मांडोत, चन्द्रेश छतवानी सहित विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं अकादमिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।