राजस्थान विद्यापीठ में 21 दिवसीय नीड बेस्ड रिफ्रेशर कोर्स
उदयपुर। मैग्सेसे व स्टॉकहोम प्राइज विजेता राजेन्द्र सिंह ने सीवर व रिवर को अलग करने की वकालत करते हुए कहा कि शहरीकरण और बेतरतीब बनाई गई कॉलोनियों के कारण पीने के पानी में सीवरेज का मिला हुआ पानी आता है। पर्यावरण को बचाने का जिम्मा शिक्षक पर आ गया है।
उन्होने शिक्षकों से आव्हान किया कि वे आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति जागरूक करें। राजेन्द्र सिंह शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित सभागार में यूजीसी रिफ्रेशर कोर्स जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के अकेडमिक स्टॉफ कॉलेज द्वारा आयोजित 21 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स में ‘‘पर्यावरण एवं रिसर्च मेथोडोलॉजी’’ विषयक पर अपने उद्बोधन में कही।
जल स्त्रोतों के केचमेंट में अतिक्रमण : राजेन्द्र सिंह ने बताया कि झीलों की नगरी पानी सहेजने के अपने टेªडिशनल साइंस व सेंस केा भूल चुका है। देवास परियोजना के झरिये जल को शहर की झीलों में लाना तो ठीेक है लेकिन इसकी जरूरत इसलिए पडी क्योंकि जल स्त्रोतों के केचमेंट में अतिक्रमण हो गए इसी कारण देवास जैसी कृतिम योजनाएं बनाने की जरूरत पडी। उन्होंने कहा कि हम अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए लिए बड़े बड़े मकान, पैसा, छोड़ कर जायेंगे यदि भविष्य मंें उन्हे पीने के लिए शुद्ध पानी, हवा, नदियां, जंगल ही नहीं मिलेगी जो ये बड़ी बड़ी प्रोपर्टी उनके किस काम आयेंगी। अगर हम पर्यावरण के प्रति संजीदा रहेंगे तो इसकी आवश्यकता ही नहीं होगी। कोर्स प्रभारी प्रो. प्रदीप पंजाबी ने बताया कि अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि हमारे सभी धर्मो में जीव हिंसा निषिद्ध है।
सभी धर्म शास्त्रों, वेदों, उपनिषेदों व पुराणों में सूर्य, अग्नि, जल, पर्वत व पेड़ पौधों को देव तुल्य माना गया है जिसकी पूजा करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि नवीन सत्र से पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के उदे्श्य से विद्यापीठ के समस्त कार्यकर्ता एवं विद्यार्थी से विद्यापीठ के पसिसर में एक पौधा लगवाया जायेगा तथा उसका रख रखाव भी उसी के द्वारा किया जायेगा। सह समन्वयक डॉ. युवराज सिंह राठौड़ ने बताया कि 21 दिवसीय कोर्स वर्क का समापन 14 जून को होगा। स्वागत उद्बोधन पीजी डीन प्रो. प्रदीप पंजाबी ने किया। इस अवसर पर उदयपुर शहर के महाविद्यालयों के प्राध्यापको द्वारा किये गये प्रश्नों का उत्तर राजेन्द्र सिंह द्वारा दिए गए।