छठे दिन जप दिवस पर बताई मंत्रों की शक्ति
आठ दिन तक धर्माराधना करने वाले उपासकों का सम्मान
उदयपुर। शासन श्री मुनि राकेश कुमार ने पर्वाधिराज पर्यूषण के तहत व्याख्यानमाला में भगवान महावीर के पिछले जन्मों का वर्णन करते हुए कहा कि नंदन राजा के जन्म में भगवान महावीर की आत्मा ने तीर्थंकर गोत्र बांधा। तीर्थंकर और अरिहंत एक ही हैं। सभी केवल ज्ञानी तीर्थंकर नहीं होते।
वे जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्वाधिराज पर्यूषण के छठे दिन जप दिवस पर धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर 44 उपासक षिविरार्थियों का सम्मान भी किया गया।
उन्होंने कहा कि साधु बनने की इच्छा करना धर्म है लेकिन आचार्य बनने की इच्छा करना पाप है। भगवान महावीर ने कहा कि यज्ञ वातावरण शुद्ध करने के लिए होते हैं। जैन धर्म में धार्मिक मंत्रों का जाप ही यज्ञ है। मंत्र साधना के चमत्कार भी हैं। उन्होंने धर्मसभा में मौजूद श्रावक-श्राविकाओं को नमस्कार महामंत्र सहित अन्य मंत्रों के जाप कराए।
मुनि दीप कुमार ने ‘जाप करो श्रद्धा से, नवकार प्यारा है’ गीतिका सुनाते हुए कहा कि जाप का महत्व पुरातन ऋषि-मुनियों ने बताया। मंत्र का पुनः पुनः उच्चारण जप है। मंत्र को भावों से परिमित कर दिया जाए तो उसकी शक्ति अपरिसीमित हो जाती है। हालांकि पुस्तकों में हजारों मंत्र हैं लेकिन अगर उनके साथ भाव नहीं जुड़े तो उनका कोई अर्थ नहीं है। लयबद्ध शुद्ध उच्चारण के साथ मंत्रों को बोला जाए तो उनका महत्व बढ़ जाता है। नमस्कार महामंत्र ऐसा ही शक्तिशाली मंत्र है कि शुद्ध उच्चारण लयबद्ध किया जाए तो जीवन में काफी बदलाव आ सकता है। नमस्कार महामंत्र की एक माला फेरने में आधा घंटा लगना चाहिए।
मुनि सुधाकर ने कहा कि ध्यान और जप दो ऐसे माध्यम हैं जिनके माध्यम से आत्म उद्धार की दिशा में बढ़ा जा सकता है। जप क्यों किया जाए, यह पहला सवाल होता है। जप के मंत्रों में वह शक्ति होती है जो पारिवारिक-सामाजिक समस्याओं का समाधान करता है। व्यक्ति निराश-हताश होता है तब उसे आलम्बन की की जरूरत होती है। करोड़ो मंत्रों के बावजूद महामंत्र एक ही है नमस्कार महामंत्र। इसमें पांच बार नमो कहा जाता है। इंसान के भीतर अहंकार का भूत होता है। जब तक उसे पांच बार कहा नहीं जाए तब तक वह झुकने को तैयार नहीं होता। अहम को तोड़े अर्हम को नहीं। जहां जीवन है, वहां समस्या है। जिस समस्या से व्यक्ति निजात पा सकता है।
तेरापंथ सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि पर्यूषण पर्व में 8 दिन तक तेरापंथ भवन में रहकर धर्माराधना करने वाले उपासक शिविरार्थियों का राकेश मुनि के सान्निध्य में सम्मान किया गया। संचालन मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया। इससे पूर्व 9 से 9.30 बजे तक संगीता पोरवाल ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग एवं जप कराए। प्रारंभ में चेतना नाहर एवं बहनों ने मंगलाचरण किया।
सम्मानित होने वाले उपासक शिविरार्थियों में जतनबाई मुरडिया, कमला कदमालिया, सूरजबाई कोठारी, रतनकंवर चौधरी, चन्द्रा बोहरा, शंकरलाल करणपुरवाला, विमला बाई, केसर पोरवाल, सावित्री इंटोदिया, शांतादेवी हिरण, सुशीला सोनी, भीमराज कोठारी, भंवरलाल चव्वाण, धापूबाई पगारिया, रोशनबाई कोठारी, रोशन बाई सरूपरिया, कंचन दुग्गड़, कल्पना दुग्गड़, अमरसिंह दुग्गड़, चन्द्रादेवी बाबेल, कस्तूरीबाई चौधरी, प्रतापबाई पोरवाल, कमलाबाई चौधरी, सुशीलादेवी हिरण, सौरभदेवी कोठारी, सज्जनदेवी धाकड़, भंवरलाल दलाल, इंदुबाला मादावाला, सुगनबाई करणपुरिया, सुंदरबाई बाबेल, सौरभबाई चौधरी, सरोज चौधरी, मोहनबाई चौधरी, हरकचंद हिरण, मांगीबाई सामोता, कंचन मेहता, बसंतीबाई तलेसरा, ललिता उदावत, प्रणिता तलेसरा, मंजू फत्तावत, बदामबाई कुमठ, चन्द्रप्रकाश पोरवाल,सरोज पोरवाल, कंचनदेवी पगारिया, यशवंत सिंह पगारिया, लक्ष्मी कोठारी, शषि चव्वाण, सुंदरदेवी मादरेचा, पुष्पा सोनी, कंचन सोनी एवं भागवंती बाई बाबेल शामिल थे।
तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष दीपक सिंघवी ने बताया कि आध्यात्मिक रात्रिकालीन प्रतियोगिता के तहत समूह गीत का कार्यक्रम हुआ। प्रतियोगिता में जैन धर्म एवं तेरापंथ से सम्बन्धित गीतों का संगान किया गया। कनिष्ठ वर्ग में प्रेक्षा बोहरा ग्रुप, नयन ग्रुप एवं आर्ची चण्डालिया तथा वरिष्ठ वर्ग में मोनिका कोठारी ग्रुप, दीपक मेहता ग्रुप एवं रिची सिंघवी ग्रुप क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहे। विजेता प्रतिभागियों को तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, उपाध्यक्ष अर्जुन खोखावत, मंत्री सूर्यप्रकाष मेहता, संगठन मंत्री प्रदीप सोनी ने पारितोषिक प्रदान किए। प्रतियोगिता के लिए आर्थिक सहयोग विजयसिंह अशोक डोसी ने दिया। निर्णायकों के रूप में उर्वशी सिंघवी, हितेश गंधर्व एवं नारायण गंधर्व ने शिरकत की।