उदयपुर। कुम्हारिया तालाब किनारे स्थित अम्बापोल पम्प हाउस व चांदपोल पम्प प्रतिदिन पांच से छह घंटे चल रहे हैं। इसके बावजूद कुछ देर में पम्पों के कुंडो (कुंओं) का जल स्तर झील के जलस्तर के बराबर हो जाता है। स्पष्ट है कि पम्पों के कुण्ड में रिसाव है तथा पम्प झील का पानी सीवरेज लाइन में फेंक रहे हैं।
यह चिंता झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित झील संवाद में उभरी। झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि कुंडों में रिसाव से झील का पानी सीवरेज लाइन में बह रहा है वहीं झील का जलस्तर घटने पर सीवरेज का प्रवाह झीलों में हो जाता है। यह स्थिति खतरनाक है।
झील संरक्षण समिति के डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को पम्पों द्वारा एक दिन में फेंके जा रहे कुल पानी की मात्रा का आंकलन कर उसे सार्वजनिक करना चाहिए। इससे अधिकारी वर्ग को वास्तविकता का आंकलन होगा एवं सुधार का प्रयास करेंगे।
डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नंदकिशोर शर्मा ने कहा क़ि केवल पाइप लाइनों में बह रहा सीवरेज ही नहीं वरन खुली नालियों से भी झील में गंदगी जा रही है, जिससे झील के पानी की गुणवत्ता ख़राब हो रही है। संवाद से पूर्व झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान से पिछोला के अमरकुंड क्षेत्र से जलीय घास, पॉलीथिन, मांस के लोथड़े, प्लास्टिक बॉटल्स, फूल मालायें, घरेलु अनुपयोगी सामग्री आदि निकाली।