उदयपुर। प्रति एक सौ नेत्र रोगियों में से 5 से 6 मरीज मेक्यलूर हॉल रोग के पाये जाते है और यह बीमारी आम तौर पर 55 से 60 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों में पायी जाती है। अलख नयन मंदिर संस्थान संभाग का ऐसा प्रथम हॉस्पीटल बन गया जहंा इस बीमारी की सर्जरी की गई।
संस्थान के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एल.एस.झाला ने बताया कि संस्थान के रेटिना प्रशिक्षित चिकित्सयक डॉ. साकेत द्वारा नाथद्वारा निवासी 55 वर्षीय श्रीमती शकुन्तला देवी के आंखों के रेटिना में मेक्यूलर हॉल होने से उन्हें गत 2 माह से दिखना बिलकुल कम हो गया था। इस पर डॉ. साकेत ने अलख नयन मंदिर संस्थान में इस बीमारी के ईलाज के लिए उपलब्ध विश्व स्तरीय मशीनों से अत्याधुनिक पद्धति- इन्वर्टेड फ्लैप तकनीक द्वारा यह ऑपरेशन कर रोगी की आंखों की रोशनी को लगभग 95 प्रतिशत लौटान में सफलता हासिल की है।
डॉ. साकेत ने बताया कि ’’मैक्यूलर होल’’ आँख के पर्दे (रेटिना) की एक जटिल समस्या है। जिसका ईलाज सर्जरी ही है। जयपुर क ेबाद उदयपुर में यह एक मात्र हॉस्पीटल है जहंा इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध है।
डॉ. एल. एस. झाला के अनुसार यह ऑपरेशन अति उत्कृष्ट रेटिना सेन्टर कारण सम्भव हो पाया हैं। यह सर्जरी रेटिना सेन्टर के विभागाध्यक्ष डॉ. साकेत आर्य द्वारा कॉन्सटिलेशन मशीन पर यह ऑपरेशन किया गया। कॉन्सटिलेशन मशीन विश्व की सबसे आधुनिक विट्रेक्टामी मशीन है। यह ईलाज भारत के चुनिंदा शहरों में ही यह उपलब्ध है। पूर्व में जो मरीज अहमदाबाद जाते थें, उन्हें अब कम खर्चे में यह ईलाज उदयपुर में उपलब्ध हो पायेगा।