राजस्थान विद्यापीठ – तीन दिवसाीय राष्ट्रीय कार्यशाला का दूसरा दिन
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक प्रबंध अध्ययन संस्थान की ओर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन प्रो. जी.एम.के. मदनानी ने विद्यार्थियों को कहा कि प्रबन्धन के शोध कार्य में छात्र नई तकनीकों आदि का विश्लेषण करें जिससे शोध कार्यों में वित्तीय स्थितियों की सटीक जानकारी का समावेश हो सकें व छात्र शोध की परिभाषा, शोध के वैकल्पिक तौर तरीके सहित व्यापार क्षेत्र में एबस को शब्दकोश के उपयोग में लेते हुए नवीनतम जानकारियों का समावेश करें।
प्रो. मदनानी ने कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, रिचर्स मैथडोलॉजी की बारीकियों के बारे में छात्रों को बताया। प्रबन्ध अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो. एनएस राव ने छात्रों को सत्र के दूसरे चरण में परिकल्पना, परिकल्पना के प्रकार, महत्व, नमूना विपणन, परियोजना पर आधारित मापन, मूल्यांकन और ऑन लाईन सर्वेक्षण के बारे मे बताया। उन्होंने कहा कि छात्र ऐसे विषय का चयन करें जो हमारी ग्रामीण समस्याओं पर आधारित हो। शोध के माध्यम से वहां के निराकरण की संभवना भी विकसित हो। शोध कार्य में गहन अध्ययन और फिल्ड वर्क पर भी छात्र ध्यान दें।
प्रो. एमएस दुलावत ने कहा कि छात्र अपने शोध का विषय ऐसा चुने जो समाज व राष्ट्र को आगे लाने में सहयोगी हो। छात्र शोध विषय को गंभीरता से लेते हुये इसमें कॉपी पेस्ट के कल्चर को बिल्कुल बन्द कर दें। शोध के माध्यम से हमारी टेक्नोलॉजी, सभ्यता, संस्कृति को भी बढ़ावा मिलना चाहिए। डॉ. शिल्पा कंठालिया ने मापन, मूल्यांकन के बारे में व नई स्केलिंग तकनीकों के बारे में डॉ. भारत सिंह देवड़ा ने सांख्यिकी टुल्स व एस.पी.एस.एस. के माध्यम से डेटा विश्लेषण की विधियों के बारे में बताया। संचालन डॉ. हीना खान ने किया तथा धन्यवाद डॉ. निरू राठौड़ दे दिया।