उदयपुर। झीलों पर लेक फेस्टिवल आयोजन का स्वागत करते हुए झील प्रेमियों ने आयोजन का नाम “क्लीन लेक फेस्टिवल” रखने का आग्रह किया है।
झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में हुए श्रम संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि स्वच्छता (क्लीनलिनेस) आयोजन की केंद्रीय थीम होनी चाहिए। झीलों के इको सिस्टम को नुक्सान पहुंचाने वाली गतिविधियों से पूर्ण परहेज किया जाना चाहिए।
झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि मोटर बोटों के इस्तेमाल, तेज लाइटों, आतिशबाजी तथा शोर से प्रवासी पक्षियों सहित सम्पूर्ण झील पर्यावरण तंत्र पर दूषित प्रभाव होता है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वो लेक फेस्टिवल को पर्यावरण फ्रेंडली रखेगी। डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि नववर्ष मनाने की आड़ में भारी मात्रा में शराब की बोतलें, बची हुई भोज्य सामग्री सहित पोलिथिन युक्त कचरा झीलों में विसर्जित हुआ है। पेयजल की झीलों पर आयोजित लेक फेस्टिवल व्यावसायिक (कॉमर्शियल) नहीं बन एक पर्यावरणीय सांस्कृतिक सामाजिक गतिविधि बनना चाहिए।
संवाद से पूर्व पिछोला के अमरकुंड पर झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित श्रमदान द्वारा झील से शराब की ढेरो बोतलें, निरामिष खाद्य सामग्री, नारियल, पोलिथिन, प्लास्टिक, घरेलु कचरा व जलीय घास निकाली एवं पूरे अमरकुंड घाट की धुलाई कर मल मूत्र की सफाई की। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, रमेश चन्द्र राजपूत, रामलाल गेहलोत, ललित पुरोहित, अजय सोनी, नितिन सोनी, दीपेश स्वर्णकार, प्रियांशी, गरिमा, तेज शंकर पालीवाल, डॉ अनिल मेहता व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।