उत्खनन : खेती भी जानते थे पछमता निवासी
उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से चल रहे उत्खनन का बुधवार को रजिस्ट्रार प्रो. सीपी अग्रवाल ने अवलोकन किया। प्रो. अग्रवाल ने बताया कि गिलूण्ड कस्बे से 8 किलोमीटर दूर पछमता गांव में हो रहे उत्खनन पर पर पुरातत्वविदों का ध्यान बंट गया है।
उन्होंने बताया कि आहाड सभ्यता के 110 स्थल बनास नदी के किनारे बसे है जिनमें पछमता गांव भी शामिल है। इस गांव में 5 टीले होने के कारण इसका नांम पछमता रंखा गया है। टीले के उपर पुरानी बाबा की मजार व समीप स्कूल बना है। ज्यादातर क्षेत्र पर खेती हो रही है। डॉ. ललित पाण्डे ने बताया कि मिटटी की बनी ईटों की दीवार मिली है जिससे उस काल की वैज्ञानिक तकनीक का पता चलता है। अनाज रखने की कोठियां जमीन में खोद कर बनाई गई थी जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह आहड संस्कृतिक की एक बस्ती है। उदयपुर से 100 किलोमीटर दूर पछमता गिलूण्ड के पास स्थित है। आहाड बनास संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थल है यह सभ्यता हडप्पा संस्कृति के समकालीन है। आहाड सभ्यता 3000-4000 ईसा पूर्व एक कांस्य युगीन एक सभ्यता थी जिससे हड़प्पा के साथ व्यापारिक सम्बंध थे यहा कई कलात्मक वस्तुए जैसे नक्कासी युक्त जार, बर्तन, सीप की चूडिया, टेराकोटा मनके, शंख और जवाहर जैसी लेपीस ले जुली, यह अर्द्ध किमती पत्थर अफगानिस्तान के बदख्शां में पाया जाता है। नीले रंग का बहुमूल्य पत्थर, कई प्रकार की मिट्टी के बर्तन और भट्टियां/चूल्हे मिले हैं। राजस्थान में कई पूर्व हड़प्पा कालीन स्थल है।