उदयपुर। झीलों का जल स्तर कम होता जा रहा है लेकिन मानव व पशुमल की गंदगी एवं प्रदूषण बढ़ रहा है। यह स्थिति भयावह है। यह चिंता रविवार को झील संरक्षण विषयक संवाद में व्यक्त की गयी। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि झीलों के किनारों पर मानव व पशु मल का विसर्जन जारी है। भारत सरकार द्वारा खुले में शौच मुक्ति के लिए 19 अप्रेल को अपने निर्धारित जन जागरण अभियान से नगर निगम उदयपुर को खुली शौच से मुक्त करने का संकल्प ले। तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि भीतरी शहर में भूजल गम्भीर रूप से प्रदूषित है। सीवर व्यवस्था के पुख्ता निर्माण व नियमित संधारण व सफाई की व्यवस्था से ही झीलों व नागरिकों का स्वास्थ्य ठीक होगा। नंदकिशोर शर्मा ने अफ़सोस जताते हुए कहा कि हम में से ही कुछ नागरिक झीलों, पर शौच विसर्जन कर रहे हैं। ऐसे लापरवाह नागरिकों की आदतों में सुधार लाने पर ही खुली शौच मुक्त उदयपुर बन सकता है। इसके लिए व्यापक जन जागरण एवं शिक्षण की जरूरत होगी।
झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित अमरकुंड पर श्रमदान कर झील क्षेत्र से घरेलू सामग्री, शराब की बोतलें, पॉलीथिन, प्लास्टिक, जलीय घास निकाली। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, राम लाल गेहलोत, बी एल पालीवाल, रमेश चंद्र राजपूत, ललित पुरोहित, भवेश, हर्षुल, रिद्येश, गरिमा, कुलदीपक, दीपेश ने भाग लिया।