उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के तत्वावधान में भारतीय कृषि अनुसंधान परषिद् नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 21 दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर कृषि उद्यम के लिए कौशल उन्मुख उद्यमिता का विकास का समापन 22 अगस्त को तकनीकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय में हुआ।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने बताया कि ये जो ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन किया गया है, वर्तमान परिपेक्ष्यय को देखते हुए उचित एवं ज्ञानवर्धक है। इसमें वर्तमान में किस तरह उद्यमिता का विकास करना है, कैसी प्लानिंग होनी चाहिए, सब बताया गया है, जो आज की जरूरत है। मानव संसाधन विकास एक महत्वपूर्ण और टिकाऊ है कृषि की क्षमता को बढ़ाने के लिए। जिससे ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और कृषि का विकास होगा। पंचगव्यए बहुत महत्वपूर्ण उत्पाद है जिसे गाय के 5 उत्पादों से मिलाकर बनाते है। यह कृषि की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं क्योंकि आज के समय के अनुरूप लोग अपनी सेहत पर अधिक ध्यानाकर्षित है।
मुख्य अतिथि आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ. एमबी चेटी ने बताया कि कौशल उद्यमता को बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली ने कृषि पाठ्यक्रमों को पांचवी अधिष्ठाता समिति द्वारा कौशल विकास को भी पाठ्यक्रमों में जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि छात्रों में कौशल विकास जरूरी है। छात्रों को कौशल उद्यमिता के लिए तैयार किया जाएगा जिससे कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।
डॉ. चेटी ने बताया कि कौशल विकास और उद्यमिता पर यह देश का पहला ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम है। आज तक कोई भी ग्रीष्म और शरद कालीन शिविरों में इस विषय पर देश में आयोजन नहीं किया गया है। इस कार्यक्रम की सफलता देश के शेष कृषि से जुड़े लोगों को प्रकाशमय करेगी और जगरूकता लायेगी।
पूर्व कुलपति सरदार दातीवाड़ा, कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात डॉ. बी.एस. चुण्डावत ने बताया की भारत में 58 प्रतिशत लोग कृषि पर आश्रित है। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि को और कृषि के लिए कृषि शिक्षा को मजबूती प्रदान करनी पडे़गी। कृषि शिक्षा केवल नौकरी देने के लिए नहीं होनी चाहिए। इस तरह की होनी चाहिए जिससे किसान ही नहीं अपितु देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो। डॉ. चुण्डावत ने बताया की नीति आयोग ने कृषि में 4 प्रतिशत की बढ़ावार का लक्ष्य दिया है। जिसे हमें पूरा करना है और इसे पूरा करने के लिए टिकाऊ कृषि शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है।
अधिष्ठाता तकनीकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय डॉ. एसएस राठौर ने आगन्तुकों का स्वागत किया। 21 दिवसीय प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. लोकेश गुप्ता ने 21 दिवस के शिविर की रिपोर्ट पेश की। डॉ. गुप्ता ने बताया की इस प्रशिक्षण शिविर में 8 राज्यों के कुल 32 वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कार्यक्रम में ग्रीष्मकालीन शिविर की पुस्तक का विमोचन भी मुख्य अतिथियों द्वारा किया गया एवं सभी प्रशिक्षकों को प्रमाण-पत्र का वितरण भी किया गया। आयोजन डॉ. निकता वंदावन, सहायक प्रोफेसर दुग्ध तकनीकी एवं खाद्य संस्करण विभाग, डेयरी कॉलेज उदयपुर एवं धन्यवाद डॉ. अभय महता ने दिया।