उदयपुर। शिक्षण की उत्तम विधि वही हे जिससे बालक अधिक से अधिक सीखे। शिक्षक जब निरन्तर सोचने वाला होगा तब ही शिक्षण अधिगम में नवाचार दिखेगा हमें उच्च परिणाम प्राप्त करने हेतु अध्यापक शिक्षा में नवाचार लाना होगा। आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में मस्तिष्क उद्वेलन, संवाद, जेड टू ए मेथड, कम्प्यूटर शिक्षण एवं अधिगम जैसी नवीन विधियों को प्रयोग कर वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
ये विचार बुधवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्विविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक की ओर से आयोजित एक दिवसीय अध्यापक शिक्षा में विषयों में नवाचारित में बडौदा के प्रो. एन.के. प्रधान ने बतौर मुख्य वक्ता उद्बोधन में छात्रों को कही। डॉ शशि चितौड़ा ने स्वागत उद्बोधन दिया। संचालन डॉ वृन्दा शर्मा ने किया जबकि धन्यवाद देवेन्द्र आमेटा ने दिया। व्याख्यान मे डॉ सरोज गर्ग, डॉ रचना राठौड़, डॉ प्रेमलता गांधी, डॉ अमित दवे सहित बीएड एवं बाल विकास एवं एमएड के छात्राध्यापक उपस्थित थे।