रूकमणी आर्ट्स के बैनर तले दो भाइयों का कमाल
उदयपुर। आजादी पूर्व भी देश में हाथों से कलाकारी दिखाने का काम होता था। उस समय लोगों के पास विज़न था लेकिन संसाधन नहीं थे लेकिन आजादी पश्चात् देश ने जैसे-जैसे मशीनीकरण क्षेत्र में विज्ञान ने उन्नति की वैसे-वैसे हर कार्य में इस मशीनीकरण का प्रवेश हुआ।
आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि हर कार्य में मशीनीकरण ने घुसपैठ कर ली है और यहीं कहा जाने लगा है कि मशीनों के बिना हर कार्य की सफलता संभव नहीं है लेकिन आज ग्राहक पुनः आजादी पूर्व के दौर में जा कर भारतीय हाथों की कला को पुनः जीवित करना चाहता है जिसे मशीनीकरण ने छीन लिया था और इसी कारण देश में हेण्डीक्राफ्ट बाजार का उदय हुआ।
हेण्डीक्राफ्ट बाजार के उदय ने हजारों लोगों को पुनः रोजगार दिया जिनसे मशीनों ने छिन लिया था। इस कार्य की कलाकारी ने इस बाजार को राज्य एवं देश की सीमा को लांघकर विदेशों तक पंहुचाया जिसके कद्रदान वहां बहुत होते है। उदयपुर में भी हेडीक्राफ्ट कारोबार ने उदयपुर को विदेशों में बहुत ख्याति दिलाई जिसमें रूकमणी आर्ट्स की भूमिका को भी नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता।
रूकमणी आर्ट्स ने अपनी स्थापना के मात्र 12 वर्षों के भीतर इस कारोबार में हर वो कार्य कर दिखाया जिस कार्य को करने के लिए कारोबारी तरसते रहते है। रूकमणी आर्ट्स के प्रोपायटर प्रदीप कालरा ने इस कारोबार में उतरने से पूर्व शिक्षा अर्जन के साथ-साथ इस क्षेत्र में अपने गुरू अशोका आर्ट के अशोक जैन से बारीकी से इसे सीखा और वर्ष 2004 में रूकमणी आर्ट्स की स्थापना की।
36 वर्षीय प्रदीप कालरा ने अपने बड़े भाई संतोष कालरा के साथ मिलकर वर्ष 2004 में अपनी माताजी रूकमणी देवी के नाम पर इस कारोबार की स्थापना की। वर्ष 2004 में प्रदीप ने वाणिज्य में स्नातकोत्तर एवं मास्टर इन इन्टरनेशनल बिजनेस की डिग्री हासिल करने बाद निर्यात कारोबार करने का मन बना चुके थे और उनकी इसी दृढ़ इच्छा शक्ति ने उन्हें हेण्डीक्राफ्ट बाजार में प्रवेश दिलाया। उनके इस कार्य में उनके बड़े भाई संतोष ने उस समय इस कारोबार में इन्टरनेट द्वारा कारोबार के विस्तार की जानकारी दे कर इस बिजनेस में सफलता मिलने का विश्वास दिलाया। यह भी बताया कि यदि आज इस तकनीक का उपयोग कर लेते है और आने वाला समय ऑनलाईन का ही होगा और उनके द्वारा उस समय कहीं गई बात वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अक्षरशः खरी उतर रही है। उस समय रूकमणी आर्ट्स ने अपने कारोबार की 80 से 90 प्रतिशत कारोबार की शुरूआत ऑन लाईन से ही किया।
कारोबारी आइटम-आज इस कारोबार के जरिये घरेलू में बाजार मार्बल के फव्वारे, मॉर्डन आट्स और ठीकरी मिरर वर्क, मन्दिर के दरवाजे, फाईव स्टार होटलों के इन्टीरियर, फ्लोर इनले, गार्डन लैण्डस्केप की सेल करते है जबकि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में सिल्वर के झूले, मार्बल के बड़े मन्दिर, घर के मन्दिर,सिल्वर के दरवाजे, मार्बल के बड़े-बड़े पिलर, भगवान की बड़ी-बड़ी मूर्तियां आदि का निर्यात किया जाता है।
बाजार- मुख्य रूप से फर्म ने अमेरीका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, मिडल ईस्ट तथा घरेलू बाजार में दिल्ली, मुंबई, चैन्नई, अहमदाबाद, नागपुर, पूने, चण्डीगढ़, लुधियाना, रायपुर, कोलकाता सूरत में प्रोजेक्ट कर अपनी सफलता के झंडे गाड़े। फर्म विशेष रूप से ताज ग्रुप, लीला ग्रुप, ऑबेराय ग्रुप, मोर्य शेरेटन ग्रुप के विश्वसनीय वेन्डर के रूप में कार्य कर रही है। इसके अलावा अमेरीकन एम्बेसी के लिए आस्ट्रेलिया में भी प्रोजेक्ट किया है। फिल्म इन्डस्ट्रीज में श्रद्धा कपूर, पदमिनी कोल्हापुरे सहित कुछ अनय फिल्मी हस्तियों के घर पर भी इन्टीरियर का कार्य किया है। अमेरीका में इन्होंने हिन्दू कल्चरल सोसायटी द्वारा निर्मित मन्दिर के दरवाजे व आस्ट्रेलिया में श्रीविष्णु मायामन्दिर के दरवाजों का निर्माण करवाया। इण्डियन बैंक, एसबीआई, यूनियन बैंक के लिए विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट किये।
प्रदीप ने अपने भाई संतोष कालरा द्वारा अर्जित आईटी शिक्षा का कारोबार में इस्तेमाल कर अपने कारोबार को बहुत उचाईयों तक पंहुचाया। अपने पिता के लॉक्स के कारोबार को आगे नहीं बढ़ाकर नए कारोबार की संभावनाओं को तलाश कर उसमें प्रवेश किया। संतोष कालरा आईबीएम बैंगलोर में सीनियर स्ट्रक्टर और कोरपोरेट ट्रेनर का कार्य कर चुके है। वर्तमान में संतोष आईटी गुरू के रूप में अपनी पहिचान बना चुके है और नये उद्यमियों के लिए स्टार्टअप मेंटरशिप के लिए प्रोग्राम चलाते है, जिसमें नये छात्रों और उद्यमियेां को बिजनेस व आईटी कन्सलेटेन्सी देते हैं।
रॉ मटेरियल : इस कारोबार में काम आने वाले मार्बल का रॉ मटेरियल राजनगर, पिण्डवाड़ा, जयपुर व मकराना से आता है। जिसे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से करीब 80 से अधिक कुशल कारीगरों द्वारा हाथ से माल तैयार कर उसमें वास्तविकता की जान फूंकी जाती है। रूकमणी आर्ट्स द्वारा इन कारीगरों को वर्ष पर्यन्त कार्य दे कर 80 परिवारों का भरण-पोषण किया जा रहा है।
विदेश यात्रांए : प्रदीप कालरा ने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कुवैत एवं तंजानिया की यात्रांए की। इसके अलावा इन्होंने राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनी में भाग लेकर कारोबार की उन्नति की संभावनाओं को तलाशा।
समस्याएं : कारोबार में माल की डिमांड है लेकिनद इस कारोबार में कुशल कारीगरों की कमी होती जा रही है जिस कारण वे मांग को पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
सुझाव : कुशल कारीगरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को ऐसे कारीगरों को प्रशिक्षित करने के लिए ट्रेनिंग सेन्टर खोलने चाहिये। हेण्डीक्राफ्ट कारोबार में लगने वाला टेक्स को यदि हटा दिया जाए तो चीन से हाने वाली प्रतिस्पर्धा करने में आसानी रहे। चीन से आयातित मशीनों से बनने वाली कलाकृतियंा सस्ती पड़ती है। हेण्डीक्राफ्ट कारोबार में करीब 20 प्रतिशत विदेशी आयातित माल भारत में बिकता है।
रूकमणी होम डेकोर- प्रदीप एवं संतोष कालरा ने रूकमणी होम डेकोर नाम से एक और कारोबार की शुरूआत की जिसमें होम फर्नीशिंग के उत्पादों की बिक्री होती है।
सामाजिक सरोकार- फोटोग्राफी का शौक रखने वाले प्रदीप पूर्व में रोटरी क्लब उदय के सदस्य रहे संतोष गज़ल एकेडमी एवं सिन्धी युवाज के सदस्य है। दोनों भाई सिन्धी समाज के विभिन्न सेवा कार्यों से जुड़े रह कर समाज सेवा में अग्रणी हैं। इन्होंने रूकमणी फाउण्डेशन का गठन कर इसके जरिये विभिन्न प्रकार के समाज सेवा के कार्य किये है। प्रदीप ईपीसीएच के सदस्य भी है।
रूकमणी आर्ट्स
पता-भुवाणा मेन रोड़,
उदयपुर-राज.
मोबाइल : 9829270930