मानस रामदेव पीर का आठवां दिन
रामदेवरा। भूख पांच प्रकार की होती है। प्रथम आहार की जो हर प्राणी मात्र में पाई जाती है। प्राणियों को आहार की भूख होती है लेकिन धन की नही। द्वितीय वासना की भूख। तृतीय सुख की भूख, चौथी कीर्ति एवं प्रतिश्ठा की भूख और अंतिम भूख भाव की होती है।
साधु भाव का भूखा होता है धन का नही। यह उद्गार राश्ट्रीय संत मुरारी बापू ने रामदेवरा में आयोजित रामकथा में षनिवार को व्यासपीठ से अपने आषीर्वचन में कही। बाबा के धाम रामदेवरा में आयोजित रामकथा के आंठवें दिन कथा में सर्वाधि हुजुम देखने को मिला। कथा प्रारंभ होने से पूर्व ही कथा पाण्डाल श्रोताओं से खचाखच भर चुका था। व्यासपीठ से कथा पाण्डाल का नजारा ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों कोई जन ज्वार सा उमड़ पडा हो। हर एक निगाह मुरारी बापू के दर्शन को आतुर थी और हर हाथ बापू को अभिनन्दन को लालायित था।
व्यासपीठ से मानस रामदेव पीर के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए बापू ने जनमानस को संदेश दिया कि नर बनकर कमाओं और चारों हाथों से नारायण बनकर बांटो। मुरारी बापू ने बताया कि अवतार का कार्यकाल निष्चित होता है और वे चेतना के रूप में कार्य करते हैं। अवतार स्थलान्तर एवं रूपान्तर भी कर लेते है। बापू ने बाबा रामदेव पीर के 24 पर्चों का उल्लेख करते हुए बताया कि जो कहा गया है उसे और सरल बनाकर समाज के सामने पेश करना चाहिए। कीर्ति या प्रतिष्ठाह की भूख नहीं रखनी चाहिए। बाबा रामदेव ने ऊंच नीच का भेद मिटा दिया था। बाबा पीर ने अपने पर्चे में कहा कि भक्ति के बहाने धर्म के नाम पर जो अनाचार करे तथा दुराचारी बन जाये उसको मेरा भक्त या अनुयायी नही बनना चाहिए। भक्ति निष्कादम कर्म में जो भी है, वह बाबा पीर का अनुयायी है।
बापू ने रामकथा के तहत अयोध्याकाण्ड के प्रसंग में वाल्मिकी आश्रम, दशरथ कैकयी संवाद, राम को वनवास, दशरथ का देहदान, भरत का राज्याभिशेक, भरत द्वारा श्रीराम चरण पादुका लाना आदि को दर्शाया। अयोध्या काण्ड को रामायण का यौवन काल बताते हुए बापू ने कहा कि युवाओं को भगवान शिव का विषेश स्मरण करना चाहिए क्योंकि षिव स्मरण से विषेश मार्गदर्शन मिलता है।
बापू ने कहा कि जहां परस्पर युद्ध ना हो और कलह के बिना काया हो वह अयोध्या के समान है। समर्पण के लिए सब मुहुर्त शुभ होते है। आत्मा राम की पहचान होती है। युवा भ्रमित ना हो जाए इसलिए रामकथा में विशेष बातें की जाती है। यह कलियुग नहीं कथा का युग है।
पीर सार्वभौमिक शब्द : बापू ने कहा कि पीर सार्वभौमिक शब्द है। किसी भी व्यक्ति में पंच गुणों का निवास हो वह पीर का रूप होता है। उसका वर्ण, देश और भाषा इसमें महत्वपूर्ण नही है। उन्होंने कहा कि चाहे वो लीले कपडे में न हो, चाहे घोड़े पर न हो, चाहे तलवार न लिए हो, लेकिन मेरा अवलोकन कहता है कि जिस व्यक्ति में 5 प्रकार के लक्षण होते है वह पीर है।
जहाँ कोई पर्दा न हो उसको पीर समझना चाहिए। वो पेंट शर्ट पहने हो तो भी पीर समझना, जहाँ कपट, छल, दंभ, पाखण्ड का पर्दा ना हो वो भी पीर का ही रूप है। पीर का द्वितीय लक्षण प्रेम का प्याला है अर्थात जिस आंख में पीड़ा देखकर आंसू आ जाये वह भी पीर का ही एक रूप है। जिसकी आँखो में वासना न उपासना हो वो भी पीर है। पूर्ण रूप से जगत के लिए जो समर्पित हो जाए, परम या पूर्ण का प्रमाण मिलने लगे वह पीर है। महसूस हो कि ये व्यक्ति परम है पामर नहीं तो समझना ये भी पीर है। जिसकी प्रतिष्ठाह हो फिर भी वो असंग बना रहे वो भी पीर है। गंगासति कहती है न सुख न दुःख, जिसको कोई न छुए वो पीर है।
बापू ने कहा कि इन अवलोकनों के मुताबिक कही बात दिखे तो मानने में में देर मत करना कि ये पीर है। अन्तःकरण की प्रवृत्ति में प्रवाह हो वह परम पीर है। दुख विपत्ति आपत्ति सभी पर आती है लेकिन जो भजन कर उपर उठ जाते है एवं किसी भी पद या प्रतिश्ठा के बाद भी असंग रहते है, वह पीर भी है।
नव बंधन : मंत्र, मूर्ति एवं माला को कभी भी नही बदलना चाहिए। बापू ने कहा कि जीवन में निरन्तर नव बंधन होना चाहिए। गुरू बंधन, गुरू मंत्र बंधन, गुरू माला बंधन, गुरू दत्त बंधन, गुरू दत्त शास्त्र, गुरू दत्त वस्तु, गुरू वचन बंधन, अश्रु का बंधन तथा गुरू स्थान का बंधन होना चाहिए। युवाओं को चाहिए कि गुरू के चरण में मन रूपी दर्पण की शुद्धि हो।
संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से रामदेवरा में आयोजित रामकथा के आठवे दिन कथा स्थल पर राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़, कथा संयोजक मदन पालीवाल, प्रकाश पुरोहित, रविन्द्र जोशी, रूपेश व्यास, विकास पुरोहित सहित कई गणमान्य अतिथियों ने व्यासपीठ पर पुष्पए अर्पित किये तथा कथा श्रवण का लाभ लिया। इस मौके पर सीमा सुरक्षा बल के जवान एवं अधिकारी भी उपस्थित थे।
बापू पहुंचे गोशाला : मुरारी बापू शनिवार को रामकथा की समाप्ति के बाद बाबा रामदेव नंदी ग्राम गोशाला पहुंचे तथा वहां वृक्षारोपण भी किया।
राम कथा विराम आज : बाबा पीर की नगरी में चल रही नौ दिवसीय अभूतपूर्व रामकथा का विराम रविवार को होगा। रामकथा 5 नवम्बर से षुरू हुई थी जो आज विराम लेगी।