उदयपुर। केंद्र व राज्य सरकारों के पर्यावरण मंत्रियों, राज्य के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया सहित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ उदयपुर झील प्रणाली में व्यावसायिक गतिविधियों को रोकने का आग्रह कर रहे है। पक्षियों के रहवास को बचाने एवं कुछ वर्ष अवधि के लिए मछलियों का ठेका रोकने के वक्तव्य दे रहे है, जबकि वास्तविकता में ठीक उल्टा हो रहा है, यह आश्चर्य जनक है। आखिर कौन है जो सर्व शक्तिमान बन झीलों के पर्यावरण तंत्र को तहस नहस करने पर तुले हैं।
यह आक्रोश पूर्ण सवाल व् पीड़ा रविवार को झील संवाद में उभरे। डॉ. अनिल मेहता ने कहा कि झीलों के इको सिस्टम को बचाये रखने के लिए देसी प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास को बचाना होगा। झील की सीमाओ पर अतिक्रमण होने, झीलो की सीमाओ को एमडब्लूएल से एफटीएल कर झील छोटा करने, मोटरबोट और वाटर स्कूटर जैसी गतिविधियों से ये आवास नष्ट हो रहे है। तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि डीजल संचालित नावो पर पूर्ण प्रतिबन्ध पेयजल की शुद्धता व झील पर्यावरण बनाए रखने के लिए जरुरी है। सिवरेज प्रणाली के सही संधारण व् देखरेख नहीं होने से झीलों में लगातार सीवरेज जा रहा है और झील को विषैला बना रहा है। इस पर तुरंत ध्यान देने की जरुरत है। नंदकिशोर शर्मा ने कहा कि फतेहसागर, पिछोला के अतिरिक्त बड़ी झील पर टूरिस्म के नाम पर बढ़ रही गतिविधियों एवं सुंदर बनाने की कवायद में इसके प्राकृतिक वातावरण के साथ छेड़छाड़ रोकनी चाहिए। मंत्रीगणों एवं विशेषज्ञ की राय मानी जानी चाहिए। झील मित्र संस्थान, , झील संरक्षण समिति एवं डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा पिछोला के बारीघाट पर आयोजित श्रमदान में झील प्रेमियोने प्लास्टिक, पूजन सामग्री, घरेलू कचरा, जलीय घास व भारी मात्रा में गंदगी निकाली गई। श्रमदान में रामलाल गहलोत, मोहनसिंह , दुर्गा शंकर पुरोहित, दीपेश स्वर्णकार, विक्की कुमावत, तेजशंकर पालीवाल, डॉ. अनिल मेहता, नंदकिशोर शर्मा भाग लिया।