योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर
उदयपुर। भारतीय संस्कृति अभ्युत्थान न्यास, उदयपुर द्वारा सात दिवसीय योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर विद्या निकेतन, सेक्टर 4 में हुआ। मुख्य वक्ता के रूप बोलते हुए श्रीवर्द्धन ने कहा कि योग एवं आसन योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में करना चाहिए अन्यथा शरीर को लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
शिविर में 126 लोगों ने भाग लेकर योग एवं चिकित्सा का लाभ प्राप्त किया इनमें विद्यार्थी, शिक्षक, डॉक्टर, व्यवसायी, अभियन्ता आदि शामिल थे। प्रातः 5 बजे से 7 बजे तक शिक्षकों के अभ्यास एवं प्रशिक्षण कालांश के पश्चात 7 से 8.30 बजे योग चिकित्सा का कालांश चला। चिकित्सा शिविर में 30 नागरिकों ने अपना उपचार करवाया। शिविर में प्रतिदिन प्रातः दीप प्रज्ज्वलन कुलपति प्रो. जेपी शर्मा, प्रो. उमाशंकर शर्मा चन्द्रसिंह कोठारी, रवीन्द्र श्रीमाली, आदि ने किया। शिविर में ताड़ासन, त्रिकोणासन, पार्श्वकोणासन, उत्तानासन, शीर्षासन, भुजंगासन, बद्धकोणासन, मरिच्यासन, नावासन, जठरपरिवर्तनासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, शवासन, विभागीय प्राणायाम, चिन मुद्राएं चिन्मय मुद्राएं आदि के साथ नाड़ी शोधन प्राणायाम, भ्रामरी, ओमकार आदि योग एवं प्राणायाम कराये गये। न्यास के सचिव दामोदर श्रीमाल ने न्यास की वर्षभर की गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। संचालन भारतभूषण व समापन पर धन्यवाद डॉ. सुरेन्द्र जाखड़ ने दिया।