तेरापंथ समाज: समत्व की साधना का नाम सामायिक: मुनि सुखलाल
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण की बह रही धर्म गंगा में हर श्रद्धालु हाथ धोने को आतुर है। सुबह समय पूर्व श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है और नियत समय तक न सिर्फ हाल खचाखच हो जाता है बल्कि बाहर बैठकर धर्मलाभ लेने वालों की कमी नही रहती।
तीसरे दिन तेरापंथ युवक परिषद के साझे में सामायिक दिवस पर अभिनव सामायिक का आयोजन किया गया। शासन श्री मुनि सुखलाल ने कहा कि सामायिक यानी समय। जैन धर्म में सामायिक को महत्व दिया गया है। यह आत्मा के अंदर जाने का क्रम है। आत्मा में भ्रमण का अभ्यास करना अभिनव सामायिक है। मन वचन और काया से सामायिक होती है। भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा में गीत पधारे महावीर भगवान… के माध्यम से पूर्व भवों की जानकारी दी।
मुनि मोहजीत कुमार ने कहा कि आचार्य तुलसी का विचार था जिसने अभिनव सामायिक को जन्म दिया। इसके तहर घुटनों पर बैठकर त्रिपदी वंदना की जाती है। अभिनव सामायिक के तहत करीब 10 मिनट तक जप के प्रयोग करवाते हुए उन्होंने कहा कि अभिनव सामयिक पांच रंगों, पांच केंद्रों का विधान है। ध्यान योग यानी ध्यान की मुद्रा में समस्त जगत को भूलकर ध्यान एक जगह केंद्रित करना। स्वाध्याय योग के तहत कुछ गीत बने हुए हैं। इसमें तत्व चर्चा, सद्साहित्य का अध्ययन हो सकता है। अध्यात्म का सोपान है सामायिक। इसमें मुख वस्त्रिक का प्रयोग किया जाता है। इस सहित सभी से सावध्य योग का त्याग किया जाता है। समत्व की साधना का नाम सामायिक है। वीतरागता की बानगी, विभाव से स्वभाव की और बढ़ना, सुख और दुख में समग्र की चेतना का नाम सामायिक है। समव्रत की साधना करने का नाम सामायिक है। सामायिक करने का मन ने भाव आना ही साधुत्व की ओर बढ़ना है। सामायिक का कोई स्वाद नही लेकिन अपने भावों से उसे मीठा बनाया जा सकता है। मुनि भव्य कुमार ने भी विचार व्यक्त किये। बाल मुनि जयेश कुमार ने गीत समता का नाम सामायिक है… के माध्यम से सामायिक दिवस की महत्ता बताई।