आचार्य तुलसी की 105 वीं जयंती
उदयपुर। गुजरात के सहित्यकार कुमारपाल देसाई ने कहा कि आचार्य तुलसी मानव के रूप में अवतरित हुए और अपने संकल्प और पुरुषार्थ के बल पर महामानव बन गए। उन्होंने जो किया, अपने पुरुषार्थ से किया। उनकी महानता किसी के द्वारा थोपी हुई नहीं है। वे अणुव्रत चैक स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य तुलसी के 105 वें जन्मदिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
साध्वी गुणमाला श्री ने कहा कि आचार्य तुलसी ने हजारों मील की यात्रा अपने पैरों से ही की। सर्दी, गर्मी, अपमान, सम्मान सब कुछ सहन किया और अपने पुरुषार्थ को जागृत किया। आज उनके अनुत्तर संयम और अनुत्तर पुरुषार्थ से तेरापंथ धर्मसंघ उपकृत हुआ है। हम उनके उपकारों और अवदानों से उऋण नहीं हो ढकते। उनके पदचिन्हों पर अपने कदम गतिमान करें और उनके सपनों को साकार करने का प्रयास करें।
साध्वी लक्ष्यप्रभा और साध्वी प्रेक्षाप्रभा ने भी आचार्य तुलसी के जीवन पर विचार व्यक्त किये। साध्वी नव्यप्रभा ने कविता के माध्यम से आचार्य तुलसी का स्मरण किया। सभा में मुख्य सरंक्षक शांतिलाल सिंघवी, उपासिका बसन्त कंठालिया, तेयुप अध्यक्ष विनोद चंडालिया, गणेश डागलिया, ज्ञानशाला संयोजक फतहलाल जैन, श्राविका पुष्पा कर्णावट ने भी विचार व्यक्त किये। मंगलाचरण शशि चव्हाण ने किया। संचालन सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने किया।
इससे पूर्व भगवान महावीर के निर्वाण दिवस पर दीपावली के उपलक्ष्य में हुई धर्मसभा में साध्वी गुणमाला ने कहा कि अंधकार से ज्यादा मूल्य प्रकाश का है। जिसका मूल्य ज्यादा होता है वो बड़ा होता है। आज का दिन सबसे बड़ा है। दीपावली का दिन प्रकाश देता है, इसलिये वह बड़ा दिन है। गौतम स्वामी ने केवल्य ज्ञान प्राप्त कर लिया और महावीर मुक्त हो गए, इसलिए यह बड़ा दिन है। इस दिन हम मोह को शांत रखने की चेष्टा करें। भीतर में दीया जलाएं ताकि प्रकाश हो। साध्वी लक्ष्यप्रभा, प्रेक्षाप्रभा और नव्यप्रभा ने भी विचार व्यक्त किये। नववर्ष पट साध्वी श्री ने मंगलपाठ श्रवण कराया। श्रावक श्राविकाओं ने स्वस्तिक के रूप में बैठकर भक्तामर का सामूहिक पाठ किया।