उदयपुर। लगातार बढती प्रतिस्पर्धा और महंगाई के इस दौर में गरीब और भामाषाह योजना के मरीजो को विष्व स्तरीय सुविधा के साथ साथ सुपर स्पेषियलिटी सेवा यूरोलाॅजी के मरीजों को आज भी उमंग और फिर से उठ खडा होने की राह दिखा रहा है पेसिफिक मेडीकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल का किडनी केयर विभाग।
दरअसल कुराबड के षिषवी गाॅव की रहने वाली 45 बर्षीय पुश्पा बाई को पिछले 12 महिनो से पेट में गाॅठ थी जो धीरे-धीरे बडती गई जिसके चलतें पुश्पा बाई को लगातार सरदर्द के साथ ही बुखार भी रहता। बुखार और सिरदर्द के कारण षरीर में काफी कमजोरी आ गई और वजन भी कम हो गया। परिवार के लोगो ने उसे कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिला।
परिजन उसे पीएमसीएच लेकर आए जहाॅ उन्होने उसे डाॅ.क्षितिज राॅका को मरीज की जाॅचों एवं सीटी स्केन की रिपोर्ट के साथ दिखाया इस जाॅच में पुश्पा बाई की बीमारी का पता नहीं चला। तो डाॅक्टरों ने उसकी पेट की गाॅठ को आॅपरेषन करके निकालने का निर्णय लिया। लेकिन जब मरीज का आॅपरेषन किया तो उसकी बाॅयी किडनी में कैन्सर का पता चला जो कि क्रोमोफोब रीनल सेल कार्सिनोमा कैन्सर था डेढ घण्टे में किए गए इस सफल आॅपरेषन को अंजाम दिया यूरोलाॅजिस्ट डाॅ.क्षितिज राॅेका, यूरोलाॅजिस्ट एवं रिकन्स्ट्रक्षनल सर्जन डाॅ.हनुवन्त सिंह राठौड,एनेस्थिेटिक डाॅ.प्रकाष औदित्य,रवि कसारा एवं चन्द्रमोहन की टीम ने।
डाॅ.क्षितिज राॅेका ने बताया कि मरीज के गुद्रे का कैन्सर था जिसे क्रोमोफोब रीनल सेल कार्सिनोमा कहते है। इस तरह का कैन्सर केवल तीन से चार फीसदी मरीजों में देखने को मिलता है। अगर मरीज को कुछ महिनो तक अगर इसका पता नहीं चलता तो उसकी जान भी जा सकती थी। इस ब्लडलैस आॅपरेषन में एडवाॅस तकनीक लिगाष्योर का उपयोग किया गया। पुश्पा बाई अभी पूर्ण रूप से सही है।