पेसिफिक में युवा शोधकर्ताओं का समागम
युवा बदलते वैश्विक परिदृष्य में भारत को अग्रणी बनाने के लिए युवाओं को शोध के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभानी होगी, और अनुसंधान की गति में वृद्धि करनी होगी यह बात गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.पी. शर्मा ने पेसिफिक विश्वविद्यालय में आयोजित रिसर्च कन्वेंशन के उद्घाटन सत्र के दौरान अपने उद्बोधन में कही।
प्रो. शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लाॅक चेन टेक्नोलाॅजी, बिग डेटा एनालिटिक्स एवं मशीन लर्निंग तेजी से सम्पूर्ण विश्व में मानव जीवन को प्रभावित कर रहे हैं वैसी परिस्थिति में निकट भविष्य में ही नौकरियों का स्वरूप पूर्ण रूप से बदल जाएगा और ऐसी स्थिति में भारत को अग्रणी स्थान प्राप्त करने के लिए शोध व अनुसंधान के क्षेत्र में पूरी ताकत झोंकनी पड़ेगी।
उन्होंने पश्चिम क्षेत्र के विभिन्न विश्वविद्यालयों के युवा शोधकर्ताओं को रिसर्च कन्वेंशन ‘अन्वेषण‘ के माध्यम से मंच प्रदान करने के लिए पेसिफिक विश्वविद्यालय एवं एसोसिएशन आॅफ इंडियन युनिवर्सिटीज की सराहना की। अपने उद्बोधन में ए.आई.यू. के रिसर्च निदेशक डाॅ. अमरेन्द्र पाणि ने कहा कि भारत में शिक्षा क्षेत्र में कुछ नया करने की उत्कंठा का अभाव है। और इसी अभाव को दूर करने की दिशा में ए.आई.यू. समय-समय पर ऐसे कन्वेंशन आयोजित करता रहता है। प्रारंभ में अपने स्वागत उद्बोधन में प्रो. महिमा बिरला ने कहा कि शोध ही वर्तमान युग की जटिल समस्याओं का समाधान कर सकता है।
फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट की डीन प्रो. बिरला ने बताया कि शोधकर्ताओं को लीक से हटकर नवाचारयुक्त विचारों एवं अनुसंधान के प्रस्तुतीकरण के लिए मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पेसिफिक विश्वविद्यालय एवं ऐसोसिएशन आॅफ इंडियन युनिवर्सिटीज द्वारा दो दिवसीय वेस्ट जोन स्टूडेंट रिसर्च कन्वेंशन ‘अन्वेषण‘ का आयोजन किया गया है। कन्वेंशन में वेस्ट जोन के गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के 37 विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक युवा शोधकर्ता भाग ले रहें हैं।
संयोजक प्रो. हेमन्त कोठारी ने बताया कि कन्वेंशन में कृषि, बेसिक साइंस, इंजिनियरिंग एण्ड टेक्नोलाॅजी, हेल्थ साइंसेज, फार्मेसी व न्यूट्रीशन एवं सोशल साइंस, ह्यूमेनिटीज, काॅमर्स एवं लाॅ जैसे क्षेत्रों में प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन प्रतिभागी युवाआंे द्वारा किया गया। प्रत्येक वर्ग के तीन विजेताओं को राष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। पोस्टर प्रतियोगिता का निर्णय विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा किया गया। जिनमें शामिल हैं कृषि क्षेत्र से डा. बी.आर. रणवा, डा.एस. के. इण्टोदिया, डा. हेमन्त मित्तल, बेसिक साइंस क्षेत्र से डा. पिंकी बाला पंजाबी, डा. एम.एल. कालरा व डा. एस.डी. पुरोहित, इंजिनियरिंग व टैक्नोलाॅजी क्षेत्र से डाॅ. नवनीत के. अग्रवाल, डा. सचिन लाल व डा. ए.एन. माथुर, हेल्थ साइंस क्षेत्र से डा. कमल सिंह राठौड़, डा. रवि कुमार व डा. मांगीलाल चैहान एवं सोशल साइंस व वाणिज्य क्षेत्र से डा. पुरणमल यादव।
‘अन्वेषण‘ के उद्घाटन सत्र के दौरान पेसिफिक काॅलेज आॅफ एग्रीकल्चर द्वारा प्रकाशित केलेण्डर एवं पेसिफिक फैकल्टी आॅफ मैनेजमेंट द्वारा नवें अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस के शोध पत्रों पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
युवा शोधकर्ताओं ने अपनी कल्पनाशीलता से किया अचम्भित
गोवा विश्वविद्यालय के मुग्धा, निकिता, श्रवण व डेलस्टेन ने प्राकृतिक आपदाओं के समय त्वरित सहायता पहुंचाने के लिए शोशल मीडिया पर आधारित सिस्टम प्रस्तुत किया। जो विशेषज्ञों द्वारा सराहा गया।
एस.आर.टी.एम. विश्वविद्यालय नांदेड़ के निलेश बालाजी ने डीजल वाहनों द्वारा पैदा होने वाले प्रदूषणकारी कार्बन में कमी लाने का यंत्र बनाया है जो आर.टी.ओ. लातुर द्वारा परीक्षण के उपरांत स्वीकार भी किया गया है।
मंदसौर विश्वविद्यालय के जुनैद ने अपशिष्ट पानी से बिजली बनाने का तंत्र विकसित कर प्रदर्शित किया।
मुबई विश्वविद्यालय के कनाद गायकवाड़ ने नेत्रहीनों के लिए ब्रेल लिपी पर आधारित ऐसा यंत्र बनाया है, जिसकी कीमत काफी कम है।
युवा प्रतिभागीयों के प्रोजेक्ट की गुणवत्ता से प्रभावित हुए विशेषज्ञ
युवा प्रतिभागीयों द्वारा प्रदर्शित प्रोजेक्ट अनोखे एवं नवाचार युक्त हैं। तथा उनकी कीमत भी काफी कम है। प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता काफी अच्छी है। कई छात्र-छात्राओं ने पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। और उन्हें पेटेंट मिल जाने की काफी संभावना है। प्रतिभागियों का कौशल सराहनीय है।
- डाॅ. एम.एल. कालरा, पूर्व कुलपति
प्रतिभागियों के प्रयास अत्यंत सराहनीय है, जिस प्रकार प्रतिभागियों ने कृषि क्षेत्र में भी इन्र्फोरमेशन टेक्नाॅलोजी का उपयोग करते हुए नए-नए प्रकार के उपकरण विकसित किए हैं। उससे सामान्य समस्याओं के हल में मदद मिलेगी। - प्रो. डाॅ. बी.आर. रणवाह
प्रो. अमेरिटस, राजस्थान कालेज आफ एग्रीकल्चर