राजस्थान विद्यापीठ मेडिटेशन प्रोग्राम
उदयपुर। जीवन में सदा स्वस्थ, सम्पत्तिवान व खुश रहने के लिए आंतरिक शक्ति व स्थिरता की आवश्यकता है राजयोग के नियमित अभ्यास से मन की स्थिरता प्राप्त हो सकती है। राजयोग से मनोबल व आत्म बल बढता है। इससे मानव मन का आंतरिक विकास होता है।
यह बात बुधवार को राजस्थान विद्यापीठ डिम्ड टू बी विश्वविद्यालय एवं प्रजापति ब्रहमकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्तवावधान में प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में ‘‘राजयोग अनुभूति शिविर’’ में ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विवि की बी.के. हुसैन दीदी नई दिल्ली ने कही। दीदी ने कहा कि परमात्मा को मन बुद्धि से याद करना उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग है। राज योग से हम शांति, पवित्रता, सहनशीलता व नम्रता, धैर्यता, शीतलता आदि सदगुणो का अनुभव कर सकते है। वे विद्यापीठ के समस्त कार्यकर्ताओं को राजयोग का जीवन में महत्व विषय पर सम्बोधित कर रही थी। अध्यक्षता करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि इस तनावपूर्ण दुनिया में राजयोग एक संजीवनी बुटि का काम करता है। राजयोग हमे सकारात्मक चिंतन करने की कला सिखाता है। उन्होने कहा कि सकारात्मक विचारों से समस्या समाधान में बदल जाती है। मानव जीवन में परोपकार लक्ष्य निर्धारित करके निष्काम भाव से सेवा करने की जरूरत हैं। हम सभी को कल्याण के लिए सेवा भाव में लीन हो कर सार्थक कार्य करने की जरूरत है। ब्रहमकुमारी की अनु दीदी, डा. राजन सूद, डा. नवीन विश्नोई, डा. बबीता रशीद, डा. मंजू मांडोत, डा. सरोज गर्ग ने दीदी से सवाल जवाब किये।