राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री) के सहयोग से गैल्वनाइज्ड स्टील के कोरोजन निष्पादन पर अध्ययन, इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं, भारत में जस्ता की मांग के लिए उर्वरक और रेलवे प्रमुख क्षेत्र होंगे
उदयपुर। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सहयोग से जिंक के हितों के लिए विशेष रूप से समर्पित एक प्रमुख उद्योग संघ इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन ने आज नई दिल्लीव में तीसरे अंतरराष्ट्रीय गैल्वनाइजिंग सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्री य इस्पारत, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राज्य्मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने किया।
मंत्रालय के अधिकारियों, ऑपिनियन लीडर्स, जिंक उत्पादकों, गैल्वनाइजर्स, गैल्वनाइज्ड उत्पादों के अंतिम उपयोगकर्ता, रेलवे, राजमार्ग अधिकारियों, वास्तुकारों और डिजाइन सलाहकारों सहित 250 से अधिक भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने जंग (कोरोजन) के मुद्दे पर विचार-विमर्श तथा देश के लिए स्थायी बुनियादी ढांचे का निर्माण के बारे में विस्तार से चर्चा की। सम्मेलन में सतत् विकास के लिए गैल्वनाइज्ड इस्पात और जेडटीएस जैसे जंग मुक्त बुनियादी ढांचे में वैश्विक उभरते रुझानों पर प्रकाश डाला।
जिंक की खपत : प्रमुख स्टेटिक्स
जस्ता का बाजार प्रति वर्ष 40 बिलियन है और दुनियाभर में लौह, एल्यूमीनियम और तांबे के बाद चौथी सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली धातु है
भारत में जिंक की प्रति व्यक्ति खपत 0.6 किलोग्राम है जो 2 किलोग्राम के विश्व औसत से बहुत पीछे है
भारत में 8 प्रतिशत कुल स्टील उत्पादन में जस्ती चादर पैठ है जबकि यूएसए और यूरोप में अध्े 19 प्रतिशत एवं 18 प्रतिशत है। भारत में, गैल्वनाइज्ड इस्पात का उत्पादन कुल स्टील उत्पादन का 7 प्रतिशत (8 मिलियन टन ूतज 104 उज) है, जबकि जापान : 11 प्रतिशत, संयुक्त राज्य अमेरिकाः19 प्रतिशत, यूरोपीय संघ : 18 प्रतिशत, तथा कोरिया : 16 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला नई दिल्ली के सहयोग से भारत में सभी भौगोलिक एवं मौसम और प्रदूषण की स्थिति को कवर करने के लिए पांच महत्वपूर्ण स्थानों पर 2013 में स्टील के नमूनों की खोज शुरू किया गया था। जंग की मात्रा को जंग के कारण धातु के वजन घटाने का आकलन करके मापा गया था। अध्ययन में भारत की कई प्रमुख इस्पात कंपनियों द्वारा उत्पादित जस्ती (गैल्वनाइज्ड) और 55 प्रतिशत कॉटेड स्टील का मूल्यांकन किया गया। अध्ययन का उद्देश्य मौजूदा भारतीय संहिताओं और मानकों की सिफारिशों पर पहुंचना है ताकि बाहरी छत और क्लैडिंग के बेहतर सेवा जीवन की अनुमति दी जा सके तथा इमारतों और बाहरी उपकरणों के जीवन को विश्व स्तर तक बढ़ाया जा सके। इससे भारत में जंग के बारे में हमारी समझ में काफी वृद्धि होगी और मानचित्र एवं भविष्य के विनिर्देशक, विनिर्माताओं और नीति निर्माताओं को संक्षिप्तीकरण के पहलू को ध्यान में रखते हुए हमारी संरचनाओं को डिजाइन करने में मदद मिलेगी।
बैठक को संबोधित करते हुए, इस्पात मंत्री ने उद्योग को सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया तथा इस बात पर विचार-विमर्श किया कि जिंक राष्ट्र के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका कैसे निभाएगा। “हमारा देश स्मार्ट सिटीज मिशन सहित कई प्रयासों के कारण बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विस्तार का प्रमाण बन रहा है। यह संरचना गैल्वनीकरण की तरह स्थाई और सिद्ध जंग संरक्षण विधियों को अपनाने की आवश्यकता के लिए कहता है। मैं सतत विकास और जीडीपी विकास की दिशा में भारत के प्रयासों का समर्थन करने के लिए बेहतर राष्ट्रीय प्रथाओं की वकालत के लिए इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन और हिंदुस्तान जिं़क की पूरी टीम को बधाई देता हूं।”
‘जिंक की आपूर्ति की कमी को देखते हुए जिंक के फंडामेंटल काफी अच्छे हैं। डॉ. एंड्रयू ग्रीन, कार्यकारी निदेशक, इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, फर्टिलाइजर और रेलवे भारत में जिं़क की मांग के प्रमुख क्षेत्र होंगे।‘‘
हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन सुनील दुग्गल ने कहा कि “जंग (कोरोजन) के कारण प्रतिवर्ष भारत को जीडीपी का लगभग 3-4 प्रतिशत घाटा हो जाता है। पश्चिमी देश, जो कि इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में हमसे बहुत आगे हैं ने पुलों, राजमार्गों, सार्वजनिक उपयोगिता, हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों में गैल्वनाइज्ड इस्पात संरचनाओं के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है और इस प्रकार लंबे समय तक चलने वाले और मजबूत संरचनाओं को संरक्षित करने में सक्षम हैं। जैसा कि हमने तेजी से शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे में तेजी के लिए खुद को तैयार किया है, इन संरचनाओं और उद्योगों को गैल्वनाइज करना अत्यावश्यक है जो न केवल एक लंबे जीवन को सुनिश्चित करेगा बल्कि इन संरचनाओं का दैनिक उपयोग करके जनता की सुरक्षा और बचाव भी सुनिश्चित करेगा।”
पहले दिन, प्रतिनिधियों को भारत के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य पर चर्चा करते हुए देखा गया और कैसे जस्ती इस्पात विशेष रूप से स्मार्ट सिटी पहल में वृद्धि को तेज करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। कार्यक्रम के दूसरे दिन ऑटोमोबाइल में गैल्वनाइजिंग के महत्व पर एक समर्पित सत्र होगा, जिसमें ऑटो कंपनियां, ऑटो विशेषज्ञ और ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने दृष्टिकोण पेश करने वाले भारतीय स्टील उत्पादकों के स्पीकर होंगे।
सम्मेलन में कुछ प्रमुख नाम शामिल हैं, सम्मेलन में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू स्टील, एस्सार स्टील, टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा, होंडा, भारतीय निकाय जैसे रेलवे, सीपीडब्ल्यूडी, डीएमआरसी, पीजीसीआईएल, सीआरआरआई जैसी कंपनियों की भागीदारी तथा एपीएल अपोलो, सूर्या रोशनी, आरआर इस्पात, इंटरनेशनल लेड-जिंक डेवलपमेंट एसोसिएशन और आईआईटी दिल्ली एवं मुंबई।