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उदयपुर। तितरडी स्थित उदयपुर के अमरनाथ कहे जाने वाले गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में संतों के सानिध्य में नवरात्रि महापर्व के पावन अवसर पर संतों द्वारा पहली बार तैयार किये गये गुप्तेश्वर महादेव सनातन पंचांग का विमोचन, गुप्तेश्वर महादेव का सारगर्भित इतिहास एवं अखिल भारतीय संस्थान परिषद की कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ।
इस दौरान स्वामी चावण्ड मठ के महंत कटावला हितेश्वरानंद सरस्वती महाराज, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के अधिष्ठाता व अखिल भारतीय सनातन परिषद के प्रदेशाध्यक्ष संत तन्मय वन महाराज, निरंजनी अखाड़ा के फतह स्कूल हनुमान मंदिर के महंत संत स्वामी अमरगिरी महाराज, अखिल भारतीय सनातन परिषद के राष्ट्रीय सचिव स्वामी सतीश वन महाराज ने कलेण्डर व गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास पोस्टर का विमोचन किया।
महंत स्वामी तन्मय वन महाराज ने बताया कि सनातन तन्मय पंचांग को 3 महीने के गहन शोध के बाद बनाया गया है। इस पंचांग का मूल उद्देश्य यह है कि आज की पीढ़ी सनातन धर्म की परंपराओं तिथियों और विभिन्न पर्वाे, उत्सवों को भूलती जा रही है। अंग्रेजी कैलेंडर में अंग्रेजी महीनों का उल्लेख होता है और सनातन संस्कृति की तिथियों व त्योहारों को छोटे अक्षरों में प्रकाशित किया जाता है। अंग्रेजी के हिसाब से साल की शुरुआत 1 जनवरी से होती है जबकि हमारे सनातन परंपरा के अनुसार नव वर्ष की शुरूआत नव संवत्सर यानी चैत्री एकम से होती है।
इस पंचांग में चैत्र से लेकर फाल्गुन तक 12 महीनों के साथ तिथियां, हिंदू व्रत त्यौहार, रात का चौघड़िया एवं जो भी उत्सव त्यौहार होता है उनको विशेष तौर से दर्शाया गया है। यह पंचांग कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के आधार पर देखा जाता है। इसमें तिथियों के जो अंक हैं वह हिंदी में लिखे गए हैं जो कि आज की पीढ़ी में वह लुप्तप्राय हो चुके हैं। अखिल भारतीय सनातन परिषद की कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण भी हुआ। इस परिषद में राजस्थान के अध्यक्ष का दायित्व गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के महंत स्वामी तन्मय वन को दिया गया है।
इस अवसर पर चावण्ड से आये संत स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि पूरा विश्व 21वीं सदी में चल रहा है लेकिन हम हमारी पुरातन सनातन सभ्यता और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। ऐसे में स्वामी तन्मय वन द्वारा गहन शोध के बाद तैयार किया गया यह तन्मय पंचांग सभी सनातनियों के लिए लाभकारी होगा।
उन्होंने ने केंद्र सरकार से मांग की कि जिस तरह से महात्मा गांधी, महावीर जयंती पर सूखा दिवस घोषित किया जाता है उसी तरह से हर हिंदू त्यौहार और महोत्सव पर भी सूखा दिवस घोषित किया जाना चाहिए।
श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के बारे में-सनातन धर्म में अविरल अखंड एक सुंदर परंपरा अनंत काल से चली आ रही है गुरु शिष्य संत परंपरा जिसमें धर्म की रक्षा, सुव्यवस्था उन्नति और दृढ़ता के संकल्प से समय चक्र के अंतराल में कई कई संत महंत संप्रदाय दृष्टि में आते हैं। उन्हीं में से एक सन्यास परंपरा है। जिसे श्रीमद् आद्य शंकराचार्य महाराज ने पुनः स्थापित किया। इस सनातन परंपरा को सुदृढ़ करने की दृष्टि से चार मदो और 7 अखाड़ों की स्थापना की गई। उन्हीं में से एक है तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा। शिक्षा दीक्षा और संस्कारों की दृष्टि से आज भी निरंजनी अखाड़े को अग्रणी माना जाता है। महात्माओं ने सकल विश्व में भ्रमण करते हुए धर्म जागरण और विश्व कल्याण की कामना के साथ विभिन्न क्षेत्रों में मंदिर की स्थापना की और ऐसे संकल्प सिद्ध संतों ने जनमानस की चेतना में धर्म को जागृत किया। उसी कड़ी में उदयपुर के दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित तितरडी गांव की सबसे ऊंची पहाड़ी पर प्राकृतिक गुफा में स्थित है उदयपुर के अमरनाथ कहे जाने वाले गुरुदेव ब्रिज बिहारी जी महाराज की तपोस्थली श्री गुप्तेश्वर जी महादेव का मंदिर। गुरुदेव से पूर्व विशेषण तो नहीं यहां पर तब किया। जिसमें रोड़ी दास जी फूल नाथ जी फलाहारी जी का नाम परंपरा से ज्ञात होता है श्री बृज बिहारी वन जी महाराज सन 1951 में टप्पू निधि श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के जमात के साथ उदयपुर पधारे और गुफा को खोजते हुए यहां पहुंचे आज से कुछ दशकों पूर्व गुरुदेव ने कठोर तप कर इस गुफा को मंदिर के रूप में स्थापित किया।
तन्मय स्वामी जी ने बताया कि इस प्राकृतिक गुफा के अंदर एक छोटे गुफा और है जिसमें पूर्व में प्राकृतिक शिवलिंग हुआ करता था इसके खंडित हो जाने पर गुरुदेव ने वैशाख शुक्ल सृष्टि 1962 को गुरु पुष्य नक्षत्र में भगवान श्री एकलिंग नाथ रे विराट प्रतिरूप श्री गुप्तेश्वर महादेव जी की स्थापना की।
श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर पर शुरू से चली आ रही सनातन गुरु शिष्य परंपरा में सन 2016 में तन्मय वन को दीक्षित कर गुरु देव ने श्री गुप्तेश्वर महादेव का उत्तराधिकार सौंपा। 2019 में गुरुदेव बृज बिहारी वन जी महाराज गुप्तेश्वर महादेव के समक्ष समाधि लीन हुए।
मां मनसा देवी ट्रस्ट अध्यक्ष,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद,अध्यक्ष अखिल भारतीय सनातन परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी जी महाराज द्वारा सनातन धर्म को संगठित सुगठित करने के उद्देश्य से गठित अखिल भारतीय सनातन परिषद मे राजस्थान से राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष पद पर श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर उदयपुर का अमरनाथ के महंत राजराजेश्वर नागा तन्मय वन को प्रदेश मनोनीत किया गया।