udaipur. आदिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर सेक्टर 11 में आयोजित प्रात:कालीन चातुर्मासिक धर्मसभा के दौरान सोमवार को आचार्य सुकुमालनन्दी ने कहा कि आत्मा के गुण ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं। मनुष्य को हमेशा मन से अमीर बने रहना चाहिये।
दुनिया में सबसे बड़ा गरीब वही है जो सदा धन की इच्छा रखता है। लोक व्यवहार में हीरा, माणक और पन्ना को कीमती माना जाता है, बहुमूल्य समझा जाता है जबकि ये तो पुद्गल अजीव द्वारा द्रव्य हैं, असली रत्न तो सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चरित्र हैं।
आचार्यश्री ने कहा कि बाहरी रूप सौन्दर्य ये तो सभी क्षणिक हैं, परिवर्तनीय हैं। उन्होंन कहा कि धन की तृष्णा मत रखो क्योंकि जो धन के पीछे भागता है धन उससे पीछे भागता है। धन का उपयोग दान-पुण्य में करना चाहिये। मन से दिल से जिन्दगी में दान-पुण्य करते हुए आगे बढऩा चाहिये।
महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि सोमवार को भी जोधपुर, जयपुर, मुम्बई, दुर्ग, इन्दौर, भीण्डर, कानोड़, सागवाड़ा, अहमदाबाद, सन्तरामपुर, भीलूड़ा आदि क्षेत्रों से आये श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री के प्रवचनों का लाभ लिया।
सोमवार को सुकुमाल बाल मण्डल द्वारा देवदर्शन का फल विषय पर लघु नाटिका का मंचन किया गया। इसके अलावा उदयपुर शहर से सैंकड़ों जैन बालक- बालिकाओं ने जैन दर्शन व नैतिक मूल्यों पर आधारित लिखित परीक्षा में भाग लिया।