जैन मंदिर के लिए मुस्लिम ने तोड़ा अपना घर
udaipur. सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल पेश करते हुए बिहार के भागलपुर शहर में मुस्लिम भाइयों ने पवित्र माह रमजान में एक जैन मंदिर के निर्माण में सहयोग कर गत 9 अगस्त को सौहार्द व भाइचारे की कहानियों में एक नया अध्याय जोड़ दिया।
चंपापुर दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र में प्रतिमा निर्माण के लिए 35 फीट लंबा, नौ फीट चौड़ा व पांच फीट ऊंचा एक विशाल ग्रेनाइट पत्थर लाया जा रहा था। पत्थर जिस ट्रॉली पर लोड था वह दिगंबर जैन मंदिर पहुंचने से पहले चौराहे पर मोड़ लेते समय बगल की चारदीवारी से अटक गया. घर के मालिक मोहम्मद जानिसार अख्तर को जब मालूम हुआ कि इस पत्थर से भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा बनेगी तो उन्होंने मंदिर के पदाधिकारियों को इस बात कर इजाजत दी कि ट्रॉली को आगे निकालने में जहां तक चारदीवारी टूटे, तोड़ लें। जानिसार अख्तर का कहना था कि रमजान में मुस्लिम को सही व नेक काम करने की सीख दी गई है।
उदयपुर के पुष्करवाणी ग्रुप ने बताया कि चारदीवारी तोड़ी भी गयी, लेकिन फिर पत्थर उस भवन की छत से अटक गया. मो. अख्तर ने बेफिक्र छत तोडऩे की इजाजत दे दी। उन्होंने कहा कि अगर मेरी एक छत बचाने से वासुपूज्य की प्रतिमा नहीं बन पायेगी तो ऐसी जिंदगी पर लानत होगी।
उन्होंने न केवल छत तोडऩे की इजाजत दी, बल्कि उसे तोडऩे व ट्रॉली को वहां से आगे बढ़ाने में पूरे मोहल्ले के लोगों से भी मदद ली. इसमें बूढ़े, बच्चे, जवान और महिलाओं तक ने साथ निभाया. आखिरकार पत्थर लदी ट्रॉली को मंदिर परिसर पहुंचा दिया गया।
उल्लेखनीय है कि भागलपुर शहर सांप्रदायिक दंगों का पुराना इतिहास रहा है। देश के सबसे भीषण दंगों में शामिल साल 1989 का दंगा भी यहीं हुआ था।
पहले भी किए प्रयास :
इससे पहले भी मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मंदिरों के निर्माण में सहायता की मिसालें सामने आ चुकी है। इस साल की शुरुआत में गया जिले में मुस्लिम युवाओं ने मां दुर्गा का मंदिर बनवाने में मदद की थी। इन्होंने मंदिर के लिए न सिर्फ धनराशि दी, बल्कि निर्माण कार्य में भी सहयोग दिया था। बेगूंसराय जिले के मुस्लिम बहुल गांव के निवासी मोहम्मद फखरुल इस्लाम ने शिव मंदिर के लिए अपनी जमीन दान में दी थी।