संस्कृत शिक्षण केन्द्र का उद्धाटन
daipur. संस्कृत भाषा ज्ञान से परिपूर्ण है संस्कृत की एक भी सूक्ति की अनुपालना यदि कर ली जाए तो जीवन सफल हो सकता है व पुन: भारत जगद्गुरू की उपाधि को विभूषित कर सकता है। जरूरत है संस्कृत के शब्दों के व्यवहार में लाने की। ये विचार संस्कृत संभागीय शिक्षा अधिकारी डा. भगवती लाल सुखवाल ने व्यक्त किए।
वे बतौर मुख्य अतिथि निम्बार्क शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में राष्ट्रीकय संस्कृत संस्थान के द्वारा निकुन्जस्थ मेवाड़ महामण्डलेश्वुर महन्त मुरली मनोहर शरण शास्त्री की देववाणी संस्कृत के व्यापक प्रचार—प्रसार हेतु संरक्षण भावना को समर्पित करते हुए आयोजित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र के उद्धाटन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। विशिष्ट् अतिथि श्रमजीवी महाविद्यालय के संकायाध्यक्ष डा. धीरज शर्मा ने राष्ट्रीनय संस्कृत संस्थान की सराहना करते हुए अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण को समाज में मूल्यों की स्थापना का आधार बताया। अध्यक्षीय उद्बोधन में राजकिय महाराणा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. भरत सुखवाल ने कहा कि संस्कृत भाषा माधुर्य से परिपूर्ण है ऐसा माधुर्य अन्य भाषाओं में नहीं है। अतिथियों का स्वागत निम्बार्क महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुरेन्द्र द्विवेदी ने किया। गजेन्द्र शास्त्री ने केन्द्र का परिचय प्रस्तुत किया। माया खण्डेलवाल ने आभार जताया।