बेटों से ही बड़ी बनती हैं भाषाएं और माताएं
udaipur. शिक्षा का शासन से कोई वास्ता नहीं है। अब तक जितने खराब काम किए हैं वे सभी शिक्षित वर्ग ने ही किए हैं। कबीर कौनसे शिक्षित थे जिन्हें हम आज भी याद करते हैं। उन पर कई पीएचडी हो चुकी है। अनुभव ही उनकी शिक्षा थी। भाषाएं और माताएं बेटों से ही बड़ी बनती हैं।
ये विचार इंडिया अगेन्स्ट करप्शन आंदोलन के प्रमुख सदस्य एवं प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कविता का ह्स हुआ है, लेकिन यह कहना गलत है कि कविताएं खत्म हो गई हैं। मांओं ने ऐसे बेटे पैदा करना बंद कर दिया। कविता और कवि सम्मेंलन में अंतर पर उनका कहना था कि यह सब जनता पर निर्भर है। वह जो सुनना चाहती है, हम वही सुनाते हैं। टीवी मीडिया के बजाय प्रिंट मीडिया के लोगों को आज भी कम तनख्वाह मिलती है, ऐसा क्यों? कवि सम्मेलनों में उनके द्वारा अधिक पारिश्रमिक लेने पर उन्होंने कहा कि जब चेहरा बिगाड़ने वाले, चुटकुले सुनाने वाले विदूषक 4-5 लाख ले जा सकते हैं तो क्या कविता लिखने वाले इससे आधे के हकदार भी नहीं? वर्ष 2005 में करीब 25 कवियों ने बाकायदा तय कर दिया था कि जहां कुमार विश्वास होगा, हम नहीं आएंगे। ऐसा क्यों भाई? क्या मैं सांप्रदायिक लिखता हूं या अश्लीलता परोसता हूं? मैंने खुद भी सोचा लेकिन फिर अपने को यूं ही रखा और आज आपके सामने हूं।
उन्होंने सब टीवी पर कविता आधारित कार्यक्रम के बारे में कहा कि गत दिनों एक कार्यक्रम में संचालक महोदय ने गोपालदास नीरज सहित दो अन्य महान कवियों को बिठाए रखा। 29 मिनट के कार्यक्रम में 16 मिनट तक वे खुद बोले। अब इससे अंदाज लगाइये कि कविता किसको सुनानी थी।
नई दिल्ली में बनाएंगे सरकार
अन्ना और अरविंद में से अरविंद को चुनने के फैसले पर कुमार ने कहा कि हमने सब कुछ करके देख लिया, लाठियां भी खाई, भूखे भी रह लिए लेकिन अंततोगत्वा कुछ निर्णय नहीं निकलने पर फिर यही फैसला किया कि अब राजनीति की राह पकड़नी होगी। 26 नवम्बर को जंतर मंतर पर होने वाली बैठक में संगठन का नाम, उसका खाका, स्वरूप और संविधान तय होगा। इसमें मुख्यत: राइट टू रिकॉल, राइट टू रिजेक्टो, जन लोकपाल आदि बिन्दू शामिल होंगे।
वर्ष 2014 में चुनाव में जीतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे पहले तो हम 2013 में नई दिल्ली में सरकार बनाएंगे। उसके बाद आगे का कार्यक्रम तय होगा। अपनी पार्टी के लोग चुनने के बारे में उन्होंने कहा कि हम यही तो बदलना चाहते हैं कि नई दिल्ली में बैठकर उदयपुर और जयपुर के चुनाव लड़ने के प्रत्यायशियों को तय कैसे किया जा सकता है। हम तो हर जगह लोगों से कह रहे हैं कि आप आइये, अपने क्षेत्र से व्यक्ति तय कीजिए और हमें बता दीजिए कि अमुक व्यक्ति सक्षम है और इसे लड़ाइये। पत्रकार वार्ता में उदयपुर के कवि राव अजातशत्रु भी मौजूद थे।