15 जुलाई से शुरू होंगे पाठ्यकम
Udaipur. अब युवा पीढ़ी को कर्मकांड एवं पूजन पद्धति से अवगत कराने के लिए औपचारिक रूप से डिग्री भी मिल सकेगी। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के ज्योतिष एवं वास्तु पाठ्यक्रमों पर पहला बैच 15 जुलाई से शुरू होगा।
कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने बताया कि इसमें ज्योतिष, वास्तु, कर्मकांड एवं पूजा पद्धति पर एक वर्षीय व छह माह के कोर्स शुरू होंगे। विद्वान आचार्यों द्वारा ज्योतिष और वास्तु विषयक विभिन्न पाठ्यक्रमों का अध्ययन करवाने के साथ ही व्यावहारिक तथा प्रायोगिक समझ को बढ़ाने के लिए भी उचित व्यवस्था की गई है।
कर्मकांड और पूजा पद्धति आदि हमारे पाठ्यक्रम के विषय हैं। इन पाठ्यक्रमों में जन्म पत्रिका निर्माण, ग्रहों के प्रभाव, आकाशीय घटनाओं व मौसम के अनुसार पडऩे वाले प्रभाव, शारीरिक क्षमताएं, वैध शालाएं, मंदिर वास्तु, नगर वास्तु आदि की जानकारी उपलब्ध होगी। बताया गया कि भारतीय ज्योतिष, भारतीय वास्तु के एक वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए 12वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है तथा भारतीय ज्योतिष व वास्तु सर्टिफिकेट तथा भारतीय पूजा पद्धति व कर्मकांड के सर्टिफिकेट कोर्स के लिए 10वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।
ग्रामीण सेवाओं पर आधारित होंगे विद्यापीठ के प्रोजेक्ट
जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के अधिकाधिक प्रोजेक्ट अब ग्रामीण सेवाओं पर आधारित होंगे। इसके लिए कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने विभिन्न विभागों की बैठक लेकर संबंधित प्रोजेक्टों की रुपरेखा मांगी है। मंगलवार को हुई बैठक में जन शिक्षक एवं विस्तार निदेशालय, कम्युनिटी सेंटर, जनता कॉलेज, जनपद, लोकशिक्षण, महिला अध्ययन केंद्र तथा ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास विभाग शामिल थे।