नौ दशक के रचनाकर्म से रूबरू हुए साहित्यप्रेमी
Udaipur. कविता कभी कालजयी नहीं होती। कविता हमेशा, समय या फिर किसी विशेष कालखंड की होती है, ये कहना है कि प्रसिद्ध कवि नंद चतुर्वेदी का। भारतीय लोक कला मंडल के सभागार में आयोजित टॉक शो डेजर्ट सोल में 9 दशक से साहित्य की सेवा कर रहे वयोवृद्ध कवि के साथ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने बातचीत की।
आयोजन राजस्थान फोरम और द परफोमर संस्था के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। प्रदेश की कला,संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में पिछले एक साल से कार्य कर रहे राजस्थान फोरम का उदयपुर में ये पहला आयोजन है। इस मौके पर कवि नंद चतुर्वेदी ने अपने रचनाकर्म की यात्रा को साहित्यप्रेमियों के सामने रखा। 21 अप्रैल 1923 को जन्मे नंद चतुर्वेदी 12 साल की उम्र में ही कवि के रूप में स्थापित हो गए थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कविता का सबसे बड़ा दायित्व समय को बांचना है। यही कारण है कि मेरी कविताओं में हमेशा आसपास की दुनिया का अक्स दिखाई देता है। इसलिए मैं अपने आपको कवि कम सामाजिक कार्यकर्ता ज्यादा मानता हूं। आज भी मेरी आंखो के सामने झालावाड़ के वो दिन याद आते हैं जब मेरे चारों तरफ वंचितों और परेशान महिलाओं का डेरा था। शायद यही वजह रही कि मेरी आस्था और मेरी कल्पना में वहीं समाए है।
हमेशा प्रासंगिक रहेगा साहित्य
साहित्य की वर्तमान दशा-दिशा और भविष्य के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होनें कहा कि रचना कर्म रूपी सागर के कभी भी सूखने की संभावना जरा भी दिखाई नहीं देती है। क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि के साथ साथ भावनाएं दी हैं, इसलिए साहित्य हमेशा भावना रूपी लहरों से ही सिंचित होता आया है।
वर्तमान की दिखी चिंता
चर्चा में साहित्य ही नहीं वर्तमान समाज की चिंता भी दिखाई दी। उन्होनें वर्तमान में दुनिया में पनप रहे अस्थिरता के भाव से विचलित नहीं होने का भी लोंगो से आहवान किया और कहा कि जब जब दुनिया में परिवर्तन की आहट हुई है तब तब कट्टरपंथी सक्रिय रहे हैं। दरअसल ये वो लोग हैं जो जिंदगी की उन सभी बातों का विरोध करते हैं जो समाज को खुशहाल और समपन्न बनाने की पैरवी करते हैं।
चर्चा के दौरान नंद चतुर्वेदी ने अपने काव्य संग्रहों में से कुछ कविताओं को पढक़र सुनाया। ये समय मामूली नहीं और उत्सव का निर्मम समय काव्य संग्रहों की कविताओं को सुन उपस्थित लोग भी उनकी सोच के कायल हो गए। कार्यक्रम का संचालन कर रहे साहित्यकार नंद भारद्वाज ने भी चर्चा के दौरान नंद चतुर्वेदी जी की कु छ कविताओं को पाठ किया। चर्चा में बड़ी संखया में शहर के साहित्य प्रेमी मौजूद थे। आयोजन के अंत में उतरांखड त्रास्दी में हताहत हुए लोगों को श्रृद्धांजलि दी गई।